बैतूल। घोड़ाडोंगरी तहसील के बाकुड़ गांव में कैद किए गए दुर्लभ केमेलियन को पशु प्रेमी आदिल खान ने आजाद करवाया कर उपचार के बाद जंगल में छोड़ दिया है. वन्य प्राणियों व पर्यावरण के संरक्षण का कार्य करने वाले पशु प्रेमी आदिल खान को सूचना मिली की घोडाडोंगरी तहसील के बाकुड़ गांव में एक हरे रंग का गिरगिट मिला है. जिस पर आदिल ने वन विभाग को सूचित किया और बाकुड़ गांव पहुंच कर उसे आजाद कराया.
बाकुड गांव के एक युवक ने गिरगिट को बंदी बना रखा था, और उसे पालने की जिद पर आड़ा था,लेकिन वन विभाग और आदिल के समझाइश के बाद वो मान गया. आदिल ने युवक को समझाया की यह घायल अवस्था में है, जिस वजह से इसको प्राथमिक उपचार देना आवश्यक है, नहीं तो इसकी मौत हो सकती है, गांव के जागरूक युवा कृष्णकांत नागवंशी और मनोज नागवंशी द्वारा भी युवक को समझाइश दी गई. जिसके बाद आदिल ने केमेलियन का उपचार कर उसे जंगल नें छोड़ दिया.
पीपल फॉर एनिमल्स, यूनिट सारनी के अध्यक्ष आदिल खान ने बताया कि यह इंडियन केमेलियन है. वन्य प्राणी अधिनियम 1972 के अंतर्गत इसे पालना गैरकानूनी है. यह एक वन्य जीव है और जंगल ही इसका घर है. केमेलियन का रेस्क्यू करने के बाद आदिल खान ने सारनी रेंजर विजय बारस्कर को संपूर्ण मामले की जानकारी दी गई. इसके बाद वन विभाग की देखरेख में इंडियन केमेलियन को उपयुक्त स्थान ढूंढ़ कर सतपुड़ा के घने जंगलों में उसे छोड़ दिया गया.
आदिल खान ने बताया कि केमेलियन हरे रंग के बड़े गिरगिट होते हैं, जो घने जंगलों में रहते हैं और जरूरत के हिसाब से रंग बदलने में माहिर होते हैं. इनके शरीर की बनावट अन्य आम गिरगिटों से अलग होती है. इनकी बड़ी जीभ होती हैं जिसकी मदद से ये अपने से थोड़ी दूरी पर बैठे शिकार का शिकार आशानी से कर लेते हैं.
आदिल खान ने बताया कि इसकी सबसे खास बात यह है कि इसकी आंखें सामान्य जीवों से बिल्कुल अलग हैं, इसकी दोनों आंखे अलग-अलग ऐंगल पर 360 डिग्री तक घूम सकती हैं. यानि यह एक आंख से आगे और एक आंख से पीछे की ओर देख सकता है. ये बेहद शांत होते हैं, पेड़-पौधों व झाड़ियों में रहते हैं. इंडियन केमेलियन अपने आप को जंगलों में आसानी से छुपा लेते हैं, इस वजह से सतपुड़ा के जंगलों में यह जीव बहुत मुश्किल से ही दिखाई देते हैं.