मध्य प्रदेश

madhya pradesh

ETV Bharat / state

परिवार के आधा दर्जन सदस्य मूक-बधिर, पंचायत के चक्कर काटने के बाद भी आज तक मंजूर नहीं हुई दिव्यांग पेंशन - deaf family in betul

बैतूल के पांढरा भुरू ढाना गांव में एक मूक-बधिर परिवार सिस्टम की लापरवाही का खामियाजा भुगत रहा है. दर्जनों बार पंचायत के चक्कर लगाने के बाद भी आज तक दिव्यांग पेंशन का लाभ नहीं दिया गया है. परिवार ने अब कलेक्टर से मदद की गुहार लगाई है. (Poor system in betul)

Sensitivity of system in Betul
बैतूल में मूक बधिर परिवार

By

Published : Mar 27, 2022, 3:20 PM IST

बैतूल।गरीब, दिव्यांग और अन्य जरूरतमंद लोगों के ​लिये केंद्र और राज्य सरकार द्वारा कई योजनाएं चलाई जा रही हैं. जिसकी समय-समय पर समीक्षा भी की जाती है. शासन और प्रशासन स्तर पर इतना संवेदनशील रवैया अपनाए जाने के बाद भी योजनाओं के क्रियान्वयन में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला मैदानी अमला आज भी जरा भी संवेदनशील नहीं हो पाया है. इसकी बानगी बैतूल में देखने को मिली.

पेंशन के लिए दर्जनों बार काटे पंचायत के चक्कर: मामला ताप्ती नदी के किनारे बसे ग्राम पंचायत सांवगा के सिहार गांव के पांढरा भुरू ढाना का. जहां एक ही परिवार के आधा दर्जन सदस्य मूक-बधिर हैं. जिनकी आर्थिक स्थिति बेहद खराब है. बांस-बल्ली से बनी झोपड़ी में रहते हैं. मेहनत मजदूरी करके जीवन यापन कर रहे हैं. इसके बावजूद पंचायत को यह परिवार आज तक दिव्यांग पेंशन के लिए पात्र नजर नहीं आया. वे लोग दर्जनों बार पंचायत के चक्कर काट चुके हैं, लेकिन जिम्मेदार बेखबर बने हुए हैं.

पंजाब से सीख लेगा कर्ज में डूबा MP! मध्य प्रदेश में वेतन, भत्ते और पेंशन के नाम पर जारी है माननीयों की मौज, आश्रितों को भी मिलती है पेंशन

गरीबी में जी रहा परिवार: रामसु उइके के परिवार में मौजूद परिवारिक सदस्य गुंटू उइके (30), सत्तो बाई झापु (35), दीनू पंचम, सन्ति उइके, सकिया धन्नू और इनका 6 वर्षीय पुत्र सभी मूक बधिर हैं. पूरा परिवार आपस में इशारों में बात करने को विवश है. मुश्किल से परिवार का गुजारा हो रहा है. ग्राम पंचायत ने इतने सालों में कभी भी इन्हें दिव्यांग पेंशन का लाभ नहीं दिया.

कलेक्टर से लगाई गुहार:यह परिवार कई दफा ग्राम पंचायत से पेंशन के लिए गुहार लगा चुका है. लेकिन सिस्टम की घोर लापरवाही और मनमानी के चलते सरकार की योजनाओं से वंचित हैं. अब इन सदस्यों ने कलेक्टर अमन बीर सिंह बैंस से योजनाओं का लाभ दिलाए जाने की गुहार लगाई है. अब देखना होगा कलेक्टर इन दिव्यांगों को कब तक लाभ दिलवा पाते है. हैरानी वाली बात ये है कि योजनाओं के क्रियान्वयन की जमीनी हकीकत को जानने के लिए कलेक्टर और जिला प्रशासन द्वारा ग्राम संवाद जैसे कार्यक्रम भी चलाए जा रहे हैं. मैदानी अमला असंवेदनशील बना हुआ है.
(Poor system in betul)

ABOUT THE AUTHOR

...view details