बैतूल/छिंदवाड़ा।फिल्म पठान का विरोध बढ़ता ही जा रहा है. अब कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा भी इसमें कूद पड़े हैं. बैतूल में पंडित मिश्रा ने कहा कि फिल्म का विरोध का कारण निर्माता और कलाकारों ने खुद पैदा किया है. यहां कोई फुर्सत नहीं है या किसी को पागल कुत्ते ने नहीं काटा है कि जानकर भोंकेगा या जानकर चिल्लाएगा. पंडित मिश्रा ने आगे कहा कि भगवा रंग के बारे में कोई शब्द भी कहा गया है. तुम खुद कह रहे हो, ये कपड़ा तुम्हारे लिए ठीक नहीं है तो क्यों पहने हो. किसने कहा कि इस वस्त्र को धारण करो.
ऐसी नहीं हमारे देश की बेटियां :मिश्रा ने कहा कि हम तो इतना कहना चाहेंगे आप परिधान के साथ में जो बेटियों का चरित्र दिखा रहे हो अथवा स्वरूप दिखा रहे हो, यह क्या दिखाना चाहते हो. क्या प्रस्तुत करना चाहते हो. क्या हमारे यहां की बहन -बेटियां ऐसी हैं ? भारत भूमि की बेटियां ऐसी हैं, उस पर फिल्म को बना रहे हो, वो भी भारत में दिखाने के लिए. मेरे भारत भूमि की बेटियां ऐसे परिधान नहीं पहनती हैं, जो परिधान तुम दिखाने का प्रयास कर रहे हो. भगवा रंग को दिखाकर यह बताना चाह रहे हो कि इससे दूर रहें. इससे बचने का प्रयास करें. ऐसी फिल्मों को तो देखना नहीं चाहिए. जब तुम कश्मीर देखने नहीं गए तो हम क्यों पठान देखने जाएंगे.