बैतूल।शाहपुर की 70 वर्षीय राम बाई नि:संतान हैं. इसके बावजूद उन्हें आठ बेटियों की माता होने का गर्व है. यह बस नि:संतान होने के बावजूद मन में आए एक विचार से पूरा हुआ. देखते ही देखते उसने एक नहीं बल्कि गरीब परिवार की आठ बेटियों का विवाह धूमधाम से कर समाज में अपनी अलग पहचान बना ली. आज संयोगवश मदर्स-डे है, ऐसे में राम बाई का यहां वर्णन होना इसलिए आवश्यक है, क्योंंकि बेटियों को पराया धन समझकर समाज की रूढ़िवादी परंपराओं से जूझना पड़ता है. अलबत्ता खुद की एक भी संतान नहीं होने के बावजूद राम बाई ने आठ बेटियों का विवाह कर पूरे समाज में एक ऐसा संदेश दिया है, जिससे बेटी बचाओ का नारा भी बुलंद हो रहा है.
संतान नहीं होने पर दंपति को रहा हमेशा से गम: शाहपुर की 70 वर्षीय रामबाई पति बारिकराम कहार एक साधारण और अशिक्षित महिला हैं. शादी होने के बाद उनकी कोई संतान नहीं हुई. यह गम दोनों पति-पत्नी को हमेशा रहता था, ऐसे में उनके मन में कमजोर परिवार की बेटियों का विवाह कराने विचार आया और वह आज मिसाल बन गई. अब तक राम बाई 8 बेटियों का विवाह स्वयं के खर्चे पर करा चुकी हैं. इस कार्य में उनके सेवानिवृत्त पति बारिक राम कहार भी सहयोग करते हैं. हमेशा रामबाई पति को मिलने वाले वेतन में से बचत कर कन्यादान कराती थीं.
8 बेटियों की शादी अपने खर्चों से की:खर्च के अलावा बेटियों के विवाह में मायके की ओर से दिए जाने वाले 5 बर्तन भी वे ही अपनी ओर से देती हैं. अब रामबाई 8 बेटियों की मां के रूप में पहचानी जाती हैं. सिलपटी गांव के राम किशोर कहार ने बताया कि "उनके गांव की तीन कमजोर परिवार की बेटियों की शादी रामबाई ने ही कराई है. वे समाज के लिए एक मिसाल हैं." शाहपुर के रमेश भनारे कहते हैं कि "रामबाई का आर्थिक रूप से कमजोर पालकों की बेटियों का विवाह कराने में बड़ा योगदान रहता है. वे हमारे समाज का एक गौरव हैं."
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सहयोग के लिए हमेशा तत्पर रहती है रामबाई: धर्मिक कार्य की बात हो या समाज सेवा की रामबाई कहार हमेशा सहयोग के लिए तत्पर रहती है. उनकी धर्म में विशेष रूचि है, वे बेटियों के विवाह कराने जैसा पुनीत कार्य करवाने के साथ-साथ धार्मिक कार्यों में हिस्सा लेती हैं. वे अब तक सारे तीर्थ कर चुकी हैं. शाहपुर सहित आसपास के क्षेत्रों में उनके बारे में कहा जाता है कि वे धार्मिक कार्यक्रम होने पर बढ़-चढ़कर सहयोग करती हैं. समाज के कमजोर वर्ग के लोगों को आवश्यकता होने पर अपनी तरफ से मदद करती हैं.
बहनों को कभी माता-पिता की कमी महसूस नहीं होने दी: रामबाई के सबसे छोटे भाई दिलीप कहार और सबसे छोटी बहन गुड़िया ने बताया कि "परिवार में सबसे बड़ी बहन रामबाई ने हम सभी को माता-पिता की कमी महसूस नहीं होने दी. वे सदैव परिवार, समाज और जरूरत मंदों की मदद करती रहती हैं. रामबाई अपने पति के साथ टीन व खपरैल वाले घर में रहती हैं. कोई संतान नहीं होने पर उन्होंने अपना मकान नहीं बनाया है. दूसरों की मदद करने के साथ ही उन्होंने ससुराल और मायके दोनों पक्षों में अपने कर्तव्यों को पूरा किया. दूसरों की खुशी में अपनी खुशी तलाशना ही जिंदगी है."