बैतूल। जिले में एक अनोखा क्वॉरेंटाइन सेंटर देखने को मिला है. मामला जिले के धावा गांव का है, जहां के जनजाति छात्रावास में प्रवासी मजदूरों को क्वारेंटाइन किया गया है. इसे लोग आत्मनिर्भर क्वॉरेंटाइन सेंटर भी कह रहे हैं, क्योंकि इस सेंटर में ठहरे मजदूर कुछ न कुछ काम करके खुद की जरूरत का सामान बना रहे हैं. ये मजदूर झाड़ू, दोना-पत्तल, छात्रावास की पुताई और सब्जी भी उगा रहे हैं.
इस क्वॉरेंटाइन सेंटर में मजदूर नहीं है मजबूर, उगा रहे हैं सब्जियां
जिले के धावा गांव में बने क्वॉरेंटाइन सेंटर में प्रवासी मजदूर कुछ न कुछ काम करके समय निकाल रहे हैं. ये मजदूर झाड़ू, दोना पत्तल, और सब्जी उगाने का काम कर रहे हैं. छात्रावास में 40 लोग क्वॉरेंटाइन हैं.
आत्मनिर्भर क्वारेंटीइन सेंटर
ये मजदूर महाराष्ट्र और गुजरात के विभिन्न शहरों से यहां पहुंचे हैं. अब तक इस छात्रावास में सैकड़ों मजदूर क्वॉरेंटाइन किए जा चुके हैं. फिलहाल यहां 40 मजदूर क्वॉरेंटाइन हैं. ये मजदूर खुद को बीमारी से बचाने के अलावा खुद आत्मनिर्भर भी बन रहे हैं. इस सेंटर पर मजदूरों की दिनचर्या सुबह पांच बजे से शुरू हो जाती है. जिसके बाद योग, पूजा और नाश्ते के बाद ये मजदूर मन मुताबिक काम मे जुट जाते हैं.