बैतूल। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार को श्रीराम मंदिर का अयोध्या में भूमि पूजन करेंगे. कोरोना महामारी के कारण उनके साथ देशभर के कुछ चुनिंदा लोग ही इस आयोजन के प्रत्यक्षदर्शी होंगे. बैतूलवासियों के लिए ये गर्व का दिन है, क्योंकि जिनके बलिदानों के कारण आज राम मंदिर का निर्माण हो रहा है, उन बलिदानियों में बैतूल के भारत भारती आवासीय विद्यालय जामठी के दो छात्र राम कोठारी और शरद कोठारी भी शामिल हैं. दोनों भाइयों ने यहां कक्षा 5वीं तक पढ़ाई की थी.
भारत भारती विद्यालय के स्कॉलर रजिस्टर के मुताबिक रामकुमार कोठारी ने 17 जुलाई 1973 को और उनके एक साल बाद 25 नवंबर 1974 को शरद कुमार कोठारी ने कक्षा पहली में प्रवेश लिया था. राम कुमार कोठारी बड़े थे और शरद कुमार कोठारी उनसे एक साल छोटे थे. पिता हीरालाल कोठारी और माता सुमित्रा देवी के दोनों पुत्र राम-लक्ष्मण की जोड़ी थे. उस समय आवासीय विद्यालय कम होने से देशभर के विद्यार्थी भारत भारती में विद्या अध्ययन के लिए आते थे. दोनों भाई कक्षा पांचवीं पास कर वापस कोलकाता लौट गए थे. इस विद्यालय में बाल्यकाल में ही उन्हें राष्ट्रभक्ति की घुट्टी मिल गई थी, इसलिए जल्द ही वे संघ के स्वयंसेवक बन गए.
भारत भारती शिक्षा संस्थान के सचिव मोहन नागर बताते हैं, राम और शरद कोठारी नियमित रूप से कोलकाता की बुराबार में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखा में जाते थे. पढ़ाई के साथ-साथ दोनों भाइयों ने संघ का द्वितीय वर्ष का प्रशिक्षण भी प्राप्त कर लिया था. राम और शरद ने भी विहिप के कारसेवकों की तरह ही अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण में अपनी सेवा देने का फैसला किया. उन्होंने 20 अक्टूबर 1990 को अपने पिता हीरालाल कोठारी को अयोध्या यात्रा की योजना के बारे में बताया. पिताजी शुरू में दोनों के कारसेवा में जाने के इच्छुक नहीं थे, क्योंकि दिसंबर में बड़ी बहन पूर्णिमा का विवाह था, लेकिन दोनों ने जिद पकड़ ली. पिता ने इस बात पर अनुमति दी कि वो घर पर रोज पत्र लिखेंगे.