भोपाल। उस बहन की ज़िद थी कि वो हर रक्षाबंधन पर अपने उन भाईयों को राखी बांधने सरहद पर जाएंगी. जो केवल बहन से नहीं पूरे देश से किया रक्षा का वचन निभाते हैं. बैतूल जिले (Betul District) की गौरी बालापूरे (Gouri Balpure) इस रक्षाबंधन पर भारत की सबसे मुश्किल सरहदों में से एक तवांग (Tawang) पहुंच रही है. तिब्बत म्यामार चीन की बार्डर (Tibet Myanmar China Border) है. फौजी भाईयो के साथ रक्षाबंधन मनाने निकली गौरी अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh) की सबसे दुर्गम बार्डर कही जाने वाली तवांग पहुंचने से पहले धंसकते पहाडों के बीच हर मुश्किल का सामना कर रही है.
रास्ता आसान नहीं है. गौरी ने ईटीवी भारत (ETV Bharat) के अपने सभी दर्शकों से अपील की है कि वे प्रार्थना करें कि गौरी रक्षाबंधन के दिन पहुंचकर अपने फौजी भाईयों की सूनी कलाई में राखी बांध सके. गौरी इस बार 55 बटालियन आईटीबीसी (ITBC) के साथ रक्षाबंधन मनाने का संकल्प लिए बैतूल से निकली है.
सरहद पर खड़े हर भाई के कलाई में सजे राखी:बहनें भाई के घर लौटती हैं सावन में. राखी पर. गौरी मुश्किल सफर तय करके हर साल रक्षाबंधन पर सरहद तक जाती हैं. हर साल देश के एक हिस्से की सरहद पर हर हाल में पहुंचती हैं. खुद अपने से किया ये वादा निभाने वो किसी भी सूरत ए हाल में उस भाई की कलाई सूनी नहीं होने देंगी. जिसने बिना किसी बंधन में बंधे इस देश की रक्षा का वचन निभाया है.
24 साल से लगातार देश की अलग-अलग सरहदों पर पहुंच रही गौरी ने इस बार तवांग की मुश्किल बार्डर को चुना है. ईटीवी भारत ने जब गौरी से बातचीत की तो वो उस समय टेंगा जगह पर फंसी हुई थी. जहां पहाड़ धंसकने से रास्ता 12 घंटे से ज्यादा समय से बंद है.
गौरी को विश्वास है कि रास्ता खुलेगा और अपने भाईयों के पास पहुंच सकेंगी. गौरी बताती हैं कि यात्रा तो होगी, तय है, लेकिन मौसम साथ नहीं दे रहा है. एक सप्ताह से बारिश हो रही है. आज थोड़ा मौसम खुला है. पहाड़ धसक गया है, रात 12 बजे से आर्मी की टीम भूस्खलन एरिया (Landslide) को साफ करने में जुटी हुई है.
टेंगा नामक जगह पर राखी लिए फँसी है गौरी:गौरी बीती रात 12 बजे से तवांग से 200 KM दूर टेंगा जगह पर अपने दल के साथ फंसी हुई है. उनके साथ दस और बहनें और चार पुरुष साथी हैं. यहां पहाड़ धंसकने से रास्ता बंद हो गया है.