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लॉकडाउन में बिछड़े मूकबधिर बेटे से मिलकर भर आई पिता की आंख - Father finds lost son in Betul

उप्र में घर से करीब दो महीने पहले गायब हुए 17 वर्षीय मूकबधिर सूबेदार को बैतूल बाल कल्याण समिति और जिला पुलिस ने फिर अपने परिवार से मिलवा दिया है.

Betul
परिजन से मिला गुमशुदा नाबालिग

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Published : Jun 17, 2020, 6:27 PM IST

बैतुल। बालक कल्याण समिति की मदद से अपने परिवार से बिछड़े मूकबधिर सूबेदार को उसका घर और परिवार वापस मिल गया. जानकारी के मुताबिक उत्तर प्रदेश के ग्राम उमरी जिला बहराइच से एक 17 वर्षीय मूकबधिर नाबालिग जिसका नाम सूबेदार है, वो 11 मार्च 2020 को घर से बिना बताए कहीं चला गया था.

सूबेदार को खोजने के परिजन ने तमाम प्रयास किए, पोस्टर छपवाए, 20 हजार रुपए का इनाम रखा, लेकिन उसे खोजा नहीं जा सका. परिजन उनके सूबेदार के वापस आने की उम्मीद खो बैठे थे लेकिन ये गुमशुदा नाबालिग लॉकडाउन के दौरान 26 मार्च 2020 को फारेस्ट बेरियर सोनाघाटी के पास मिला. इसके पास एक बोरी में कुछ बर्तन और करीब 200 रुपए की चिल्लर थी, इसके अलावा इसके पास कोई भी दस्तावेज नहीं था, जिससे इसकी पहचान हो सके. वनकर्मियों ने सूबेदार को पुलिस के हवाले किया और पुलिस ने इसे चाइल्डलाइन के माध्यम से बालक कल्याण समिति के समक्ष पेश किया. जहां से उसे एबनेजर बाल गृह भेज दिया गया था.

बाल कल्याण समिति द्वारा जब-जब बाल गृह का निरीक्षण किया जाता था, उस दौरान सूबेदार की लगातार काउंसलिंग की जाती थी, लेकिन उसके मूकबधिर होने से ना तो वह कुछ सुन पाता था और अशिक्षित होने के कारण न ही कुछ लिख पाता था. वह सिर्फ अपना नाम लिखता था. कई मर्तबा प्रयास किए गए लेकिन हर बार असफलता ही हाथ लगी. बाल कल्याण समिति द्वारा साइन लैंग्वेज एक्सपर्ट और युवा व्यवसायी राजेश आहूजा की मदद ली गई, लेकिन सिर्फ इतना ही ज्ञात हुआ कि यह घर से कुछ रुपए लेकर भागा है, इसके अलावा कोई और ठोस जानकारी नहीं मिल सकी.

सूबेदार जिस तरह से इशारे-इशारे में अपना घर होना बताता था, उससे एक उम्मीद यह थी कि यदि इसे शाहपुर बालगृह से बैतूल में लाकर घुमाया जाए तो शायद सफलता मिल सकती है. उम्मीद की इसी एक किरण को लेकर सूबेदार को शाहपुर से बैतूल लाया गया और बाल कल्याण समिति ने उसे तमाम जगह घुमाया लेकिन बालक इस शहर को पहचान ही नहीं पा रहा था. मसलन यह प्रयास भी पूरी तरह से असफल हो गया. बाल कल्याण समिति द्वारा इसी बात पर हमेशा मंथन किया जाता था कि इस मूकबधिर नाबालिग का पता-ठिकाना कैसे खोजा जाए. इसी बीच स्टेट क्राइम ब्रांच एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग पंचकूला एएसआई राजेश कुमार ने मिसिंग चिल्ड्रन व्हाट्सएप ग्रुप में बाल कल्याण समिति को जोड़ लिया.

इसके बाद समिति के अध्यक्ष प्रशांत मांडवीकर ने सूबेदार की फोटो इस ग्रुप में 9 जून 2020 को जैसे ही डाली, उसके तत्काल बाद एएसआई राजेश कुमार और उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले के चाइल्ड लाइन कार्यकर्ता अरूण कुमार चौधरी ने यह फोटो पहचान ली, क्योंकि सूबेदार की बहराइच थाने में गुमशुदगी दर्ज थी. इसके बाद तत्काल फोन पर बात हुई और बच्चा ट्रेस हो गया कि यह सूबेदार ही है जो कि घर से भाग गया था.

सोमवार को उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले से पुलिस और सूबेदार के पिता भगवती प्रसाद गुप्ता बैतूल पहुंचे और 11 मार्च से बिछड़े अपने बेटे से मिले. पिता-बेटे की मुलाकात को देखकर वहां मौजूद अन्य सदस्यों की भी आंख भर आयी. इस दौरान सूबेदार के पिता भगवती प्रसाद गुप्ता ने कहा कि 'मैं और मेरा परिवार जिंदगी भर सीडब्ल्यूसी का उपकार याद रखेगा, जिन्होंने उसके बच्चे को सुरक्षित रूप से इतने दिनों तक रखकर रखा.' इसके साथ बच्चे के पिता ने सहयोग करने वाले सभी लोगों को धन्यवाद दिया.

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