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जब तक टैक्स माफ नहीं होगा क्षेत्र में बंद रहेगा बसों का संचालन- बस संचालक - bus service will not start

जब तक टैक्स माफ नहीं होगा मुलताई क्षेत्र की बसें चालू नहीं होंगी, ये कहना है बैतूल में बसों पर लगने वाले का टेक्स का विरोध कर रहे बस संचालकों का. तहसील के बस संचालाकों ने बैठक में निर्णय लिया है. शासन से मांग की है कि उन्हें सरकार से राहत पैकेज दिया जाए.

bus drivers protest against tax
टैक्स माफ करने के लिए बस चालकों ने किया प्रदर्शन

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Published : Sep 4, 2020, 3:10 AM IST

बैतूल। जिले के मुलताई में कोरोना संक्रमण के कारण पिछले 6 महीने से मुलताई तहसील क्षेत्र की निजी बसें बंद हैं. जिससे बस व्यवसाय से जुड़े लोग पूरी तरह आर्थिक रूप से प्रभावित हो चुके हैं. शासन द्वारा आदेश के बावजूद जब तक सरकार पूरा टैक्स माफ नहीं करती तब तक मुलताई तहसील क्षेत्र की बसें शुरु नहीं की जाएगी. ये फैसला तहसील के बस संचालकों द्वारा मुलताई में आयोजित बैठक के दौरान लिया गया है. इसके अलावा भी बस संचालकों द्वारा शासन से राहत पैकेज की भी मांग की गई है.

मोटर संघ ने लगाया भेदभाव का आरोप

बैतूल मोटर मालिक संघ के संरक्षक एवं खान बस सर्विस के मालिक हाजी शमीम खान ने बताया कि मध्यप्रदेश सरकार बस मालिकों के साथ अन्य प्रदेशों की अपेक्षा भेदभाव कर रही है. उन्होंने बताया कि जहां अन्य प्रदेशों में सरकार द्वारा बस संचालकों का 6 माह का टैक्स माफ किया गया है. वहीं मध्यप्रदेश सरकार द्वारा टैक्स माफ नहीं किया जा रहा है. ऐसी स्थिति में बस संचालक बसें शुरु नहीं कर सकते. उन्होंने बताया कि जब 6 माह से व्यवसाय ही पूरा ठप्प पड़ा हुआ है तो आखिर टैक्स किस बात का देगें. इधर अन्य बस संचालकों ने बताया कि एक तरफ जहां सरकार को बस संचालकों को राहत देना चाहिए वहीं उनसे बंद बसों का भी टैक्स मांगा जा रहा है. जिससे बस संचालकों में रोष व्याप्त है. वहीं बसें नही चलाने का फैसला लिया गया है.


टैक्स माफ नहीं हुआ तो लेगें जल समाधि


सरकार के रवैये से आहत बस संचालक हाजी शमीम खान ने घोषणा कि है कि यदि 5 अक्टूबर तक टैक्स माफ नहीं किया गया तो वे ताप्ती सरोवर में जल समाधि ले लेगें. उन्होंने कहा कि वर्तमान में पूरे क्षेत्र के बस संचालक, चालक सहित परिचालक परेशान हैं और बस व्यवसाय से जुड़े कर्मचारी बेरोजगार हो चुके हैं. जहां कई जगह भूखों मरने की नौबत है. वहीं कई कर्मचारी जैसे-तैसे छुट-मुट व्यवसाय कर रहे हैं. इधर बसें बंद होने से आमजन भी परेशान हैं और उन्हे अन्य वाहनों को कई गुना ज्यादा भुगतान करना पड़ रहा है, लेकिन सरकार अपनी जिद पर अड़ी हुई है. ऐसी स्थिति में उन्होंने जल समाधि का निर्णय लिया गया है ताकि सरकार की आंखे खुल सकें और वो मानवीय दृष्टिकोण से भी बस संचालकों की स्थिति पर गौर करें.

बस संचालन के पहले राहत पैकेज की मांग


बस संचालकों द्वारा बसें शुरु करने के पहले टैक्स माफी के साथ ही अन्य मांगे भी की गई हैं. बस संचालक विजय शुक्ला, जीतेन्द्र रघुवंशी, पप्पू मालवीय और शिवप्रसाद साहू सहित अन्य लोगों ने बताया कि सबसे पहले उन्हे बसें शुरू करने के पहले लाखों रुपए का खर्च आएगा, क्योंकि महिनों से खड़ी बसों के संचालन करने के लिए उसकी मरम्मत जरूरी है. इसके लिए उन्हें सरकार से राहत पैकेज मिलना चाहिए. बसों के किराए में भी वृद्धि की जाना चाहिए. वहीं बस चालक और परिचालकों को कोरोना योद्धा भी घोषित किया जाना चाहिए.

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