बैतूल।सरप्लस बिजली उत्पादन के लिए अपनी पहचान बनाने वाले मध्य प्रदेश में कोयला संकट से सरकार की मुश्किलें बढ़ गई हैं. प्रदेश के चार में से दो बड़े पॉवर प्लांटों में महज 3-3 दिनों का कोयला ही शेष है. वह भी जब सिंगाजी प्लांट को सारणी सतपुड़ा पॉवर प्लांट की दो इकाइयों का कोयला डेढ़ साल से लगातार भेजा जा रहा है. इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रदेश के बिजली घरों में कोयला संकट गहरा रहा है. जबकि दो प्लांटों के पास 7 दिनों का कोयला है. वहीं बात करें, सतपुड़ा पावर प्लांट की तो यहां भी सिर्फ एक सप्ताह का कोयला शेष है.
सतपुड़ा पावर प्लांट के पास 7 दिन का स्टॉक
सतपुड़ा पावर प्लांट में सिर्फ एक सप्ताह का कोयला शेष है. यहां रोजाना 7 हजार मीट्रिक टन के आपसास कोयले की खपत हो रही है. स्टॉक 61 हजार 700 मीट्रिक टन के आसपास है. कोयले की आपूर्ति बढ़ाने डब्ल्यूसीएल और कोल इंडिया से मप्र पावर जनरेटिंग कंपनी के अधिकारी सतत संपर्क में बने हैं.
रोजाना 68 हजार मीट्रिक टन खपत
मप्र के सभी सरकारी बिजली घरों की 16 इकाइयां पूरी क्षमता पर चलती है, तो रोजाना 68 हजार मीट्रिक टन से अधिक कोयले की आवश्यकता होती है. मौजूदा स्थिति में 7 इकाइयां बंद हैं. 9 इकाइयों में लगभग 43 हजार मीट्रिक टन कोयले की खपत हो रही है. शनिवार को 49 हजार मीट्रिक टन कोयले की खपत हुई. जबकि आपूर्ति 43 हजार मीट्रिक टन ही हुई. वह भी तब जब सिंगाजी पॉवर प्लांट को एक साथ 7 रैक कोयला मिला. फिलहाल मप्र पॉवर जनरेटिंग कंपनी के पास 2 लाख 27 हजार 400 मीट्रिक टन कोयल स्टॉक है.