बैतूल।कर्नाटक के गुलबर्गा में फंसे बैतूल के 39 मजदूरों का रेस्क्यू कर लिया गया है. बंधक बनाये गए सभी मजदूर सकुशल बैतूल लौट आये हैं. दो एनजीओ की मदद और कर्नाटक पुलिस की सख्ती के बाद यह संभव हो सका है. मजदूर वहां दो महीने से फंसे हुए थे. बैतूल पुलिस भी लगातार संपर्क में थी.
कर्नाटक में फंसे बैतूल के मजदूर लौटे गन्ना कटाई के नाम पर दो महीने से फंसे थे मज़दूर
मजदूरों को बैतूल से गन्ना कटाई के नाम पर ले जाया गया था जहां उनसे पिछले बीते 2 महीने से काम तो लिया जा रहा है, लेकिन उन्हें मजदूरी नहीं दी गई थी. उन्हें गांव भी नहीं लौटने दिया जा रहा था. इसे लेकर लोकसभा के प्रत्याशी रहे रामू टेकाम ने एसपी से चर्चा कर मजदूरों को मुक्त कराने की मांग की थी.
दो महीने के लिए मजदूरी पर रखने का मौखिक अनुबंध था
मोहदा थाना इलाके के 7 गांव के 39 मजदूरो को खंडवा जिले के बकार्जुन निवासी एजेंट अनिल इवने ने गन्ना कटाई के लिए कर्नाटक भेजा था. उन्हें दो महीने के लिए मजदूरी पर रखने का मौखिक अनुबंध था, लेकिन यह समय सीमा बीत जाने के बावजूद मजदूरों को छोड़ा नहीं गया था, जिससे यहां मजदूरों के परिजन परेशान हो रहे थे.
दो महीने से नहीं मिली थी मजदूरी
कर्नाटक के जिला गुलबर्गा तहसील अबजलपुर , ग्राम दुदगी, में ठेकेदार अमरुता ने 11 हजार रुपए महीना की मजदूरी पर 2 महीने के लिए मजदूरी के लिए लेकर गया था. बीते दो माह में उन लोगों से 80 एकड़ में लगी गन्ने की फसल कटवाई गयी, लेकिन एक रुपये की मजदूरी नहीं दी गयी है. उन्हें जाते समय जो एडवांस दिया गया था, उसके अलावा कोई पैसा नहीं दिया गया.
बारह साल में बारह 'मन' का बोझ
टीआई रविकांत डेहरिया ने बताया कि- "मजदूरों को रेस्क्यू के लिए बैतूल से पुलिस टीम भेजी गयी थी, लेकिन यह टीम कर्नाटक पहुंचती इससे पहले ही कर्नाटक पुलिस ने ठेकेदार को कार्रवाई करने की धमकी के बाद मजदूर छोड़ दिये गए. फिलहाल उनके बयान लिए जा रहे हैं ताकि एजेंट और ठेकेदार पर कार्रवाई हो सके. इस मामले में एनजीओ आवाज, दिल्ली की संस्था रैबिका और कर्नाटक हाईकोर्ट के एक अधिवक्ता की खास भूमिका रही".
(Betul labours freed from Karnataka)