बैतूल।एचआईवी संक्रमित मरीजों को अगर समय पर दवा न मिल पाए तो उनके लिए ये मुसीबत बन सकता है. जिसके चलते उनके स्वास्थ्य पर खराब असर तो होता ही है, इसके अलावा उनकी जिंदगी भी खतरे में पड़ सकती है. कोराना के चलते हुए लॉकडाउन में ऐसे मरीजों के सामने समय पर दवाएं मिलने और उनकी देख-रेख का संकट खड़ा हो गया था. ऐसे में बैतूल जिला अस्पताल के आईसीटीसी सेंटर में पदस्थ दो महिलाएं जिनमें लैब टेक्नीशियन अलका गलफट और काउंसलर अनीता इन मरीजों के लिए भगवान बनकर आईं. इन दोनों स्वास्थ्यकर्मियों ने लॉकडाउन के दौरान एचआईवी पीड़ितों को न केवल समय पर दवाएं उपलब्ध कराई, बल्कि उनकी काउंसलिंग भी की.
सबसे खास बात ये है कि लॉकडाउन में जो मरीज आईसीटीसी सेंटर नहीं जा पा रहे थे, उन्हें टीआई प्रोग्राम के हेल्थ वर्कर और अहाना प्रोजेक्ट के जरिए उनके घर दवाई भेजी गईं. इस काम में ये भी ध्यान रखा गया कि एचआईवी मरीज की गोपनीयता बरकरार रहे. इन तमाम जिम्मेदारियों को टेक्नीशियन अलका गलफट और काउंसलर अनीता ने बखूबी निभाया.