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बैतूल: बिना शिक्षक संचालित हो रहा शासकीय हायर सेकंडरी स्कूल, बच्चों की पढ़ाई हो रही प्रभावित

बैतूल जिले के आमला विकासखंड शासकीय हायर सेकंडरी स्कूल मोरखा में पिछले कई दिनों से कोई शिक्षक नहीं है, जिससे शिक्षा व्यवस्था ठप पड़ चुकी है और जिला शिक्षा विभाग इससे बेखबर है.

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बिना शिक्षक संचालित हो रहा शासकीय हायर सेकंडरी स्कूल

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Published : Oct 19, 2020, 11:10 AM IST

बैतूल। आमला विकासखंड के शासकीय हायर सेकंडरी स्कूल मोरखा में शिक्षकों के सभी पद रिक्त हैं, विद्यालय अब शिक्षक विहीन हो गया है. वर्तमान में माध्यमिक शाला डुडरिया के प्रधान पाठक यहां का प्रभार संभाल रहे हैं. पिछले कुछ सालों से शिक्षकों के अभाव में बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित हुई है.

शिक्षा व्यवस्था एकदम ठप पड़ चुकी है, जिससे अभिभावकों, विद्यार्थियों और ग्रामीणों में काफी आक्रोश है. हायर सेकंडरी स्कूल मोरखा इस क्षेत्र की संकुल शाला है, जिसके अंतर्गत लगभग 50 से अधिक प्राथमिक, माध्यमिक, हायर सेकंडरी और अशासकीय विद्यालय आते हैं. संकुल कार्यालय होने के बावजूद यहां पर कक्षा 9 से 12 तक के एक भी शिक्षक नियुक्त नहीं हैं, जिससे सारी व्यवस्थाएं बिगड़ गई हैं, और पढ़ाई भगवान भरोसे है. चौकाने वाली बात ये है, कि शिक्षकों नहीं होने की जानकारी शिक्षा विभाग को नहीं है,

मोरखा के सक्रिय समाजसेवी और भाजपा नेता किशन सिंह रघुवंशी का कहना है कि 1992 से ग्राम मोरखा में हायर सेकंडरी स्कूल संचालित है, जिसमें कुछ समय तो नियमित स्टाफ और स्थाई प्राचार्य रहे, लेकिन पिछले लगभग 10 सालों से विद्यालय में प्रभारी प्राचार्य ही कार्य संभाल रहे हैं, और धीरे-धीरे यहां के शिक्षक स्थानांतरित होकर चले गए. वर्तमान में यहां कक्षा नौवीं से बारहवीं तक कोई भी शिक्षक नहीं है, वहीं पड़ोस के सरकारी स्कूल के शिक्षकों के भरोसे इस शाला का संचालन हो रहा है.

इस समस्या से पूर्व में जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों को अवगत कराया जा चुका है. लेकिन एक बार फिर आमला विधायक और जिले के सांसद को इस समस्या से अवगत कराया जाएगा. गांव के जितेंद्र सोनी ने बताया कि पिछले कुछ सालों में यहां के पदस्थ कर्मचारियों का स्थानांतरण हो जाने के कारण शासकीय हायर सेकंडरी स्कूल में चार्ज संभालने वाले शिक्षक भी नहीं हैं, फिलहाल डुडरिया के प्रधान पाठक को यहां का चार्ज सौंपा गया है. वर्तमान स्थिति में कोरोना संकट के चलते विद्यालय संचालन नहीं हो रहा है, इसलिए अब तक काम चल गया, लेकिन जब विद्यालय में कक्षाएं लगना शुरू होगी, तो बच्चों की पढ़ाई भगवान भरोसे ही होगी, वैसे भी ज्यादातर शिक्षक शहरों में रहना पसंद करते हैं. शिक्षा विभाग द्वारा इस ओर ध्यान नहीं दिया जाना, बड़ी लापरवाही को दर्शाता है.

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