बैतूल। देश में स्वच्छता के प्रति जागरुकता की एक नई लहर उठने लगी है. शहरों के साथ ही अब गांव में भी ग्रामीण स्वच्छता के प्रति जागरुक हो रहे हैं. बैतूल जिले के घोड़ाडोंगरी तहसील का बाचा, देश-विदेश में सोलर विलेज के नाम से मशहूर है. पहले सोलर विलेज और अब वॉटर विलेज बन चुके बाचा को देखने देश-विदेश से लोग आ रहे हैं.
सोलर एवं वॉटर विलेज के नाम से जाने जाने के बाद अब स्वच्छ गांव के रूप में भी गांव बाचा को जाना जाने लगा है. 74 घरों के इस गांव में ग्रामीण सड़कों पर कचरा नहीं फेंकते हर घर के सामने एक डस्टबिन रखी हुई है. ग्रामीण इस डस्टबिन में ही अपने घरों का कचरा एकत्रित करते हैं और बाद में इसे कचरे को नष्ट कर देते हैं. गांव में प्रवेश करते ही गांव की स्वच्छ सड़कें देख लोग गांव की तारीफ करते नहीं थकते हैं.
सामूहिक प्रयास का नतीजा
गांव का हर व्यक्ति गांव को स्वच्छ बनाने में अपना सहयोग देता है. गांव के युवा ग्रामीणों को स्वच्छता के प्रति जागरुक करते हैं. गांव बाचा के लोगों ने ये साबित कर दिखाया है कि सामूहिक प्रयासों से कुछ भी असंभव नहीं है. अगर सभी मिलकर प्रयास करें तो दुनिया को प्रदूषण, बिजली और पानी की समस्याओं से बाहर निकाला जा सकता है.
वाटर हार्वेस्टिंग
सौर ऊर्जा के इस्तेमाल के अलावा घोड़ाडोंगरी तहसील के गांव बाचा में सभी घरों में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाए हैं, जिससे बारिश के पानी की एक बूंद को भी सहेजा जा रहा है. ग्रामीणों ने जल संरक्षण के लिए अपने घरों के पीछे सोकपिट भी बनाए पानी जमीन में समा सके. मध्यप्रदेश का गांव बाचा देश का ऐसा पहला गांव बन गया है, जहां हर घर में बिना लागत का रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बना है.