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आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने प्रदेश सरकार के खिलाफ खोला मोर्चा, दी आंदोलन की चेतावनी

बैतूल में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने हड़ताल कर राष्ट्रव्यापी श्रमिक संगठनों की हड़ताल का समर्थन किया. इस दौरान कार्यकर्ताओं ने 13 सूत्रीय मांगों पर तुरंत कार्रवाई की मांग की.

Anganwadi workers strike
आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की हड़ताल

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Published : Nov 26, 2020, 10:34 PM IST

बैतूल।आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका एकता यूनियन एवं एमआर यूनियन, आशा सहयोगी यूनियन बैतूल में गुरुवार को संयुक्त रूप से हड़ताल पर रहे. जिला मुख्यालय कर्मचारी भवन प्रांगण में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका, आशा कार्यकर्ता और बड़ी संख्या में जिले भर के एमआर, मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव एकत्र हुए और राष्ट्रव्यापी हड़ताल को सफल बनाया. केंद्र बंद हड़ताल के तहत सभी आंगनबाड़ी केंद्र बंद रहे. करीब 60 आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका और आशा कार्यकर्ता के अलावा 50 एमआर भी हड़ताल में शामिल हुए.

21 हजार न्यूनतम वेतन की मांग

आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने बताया कि, महिला एवं बाल विकास विभाग में पिछले 45 सालों से कार्यरत हैं. विभाग में शासकीय योजनाओं को लागू करने का काम करती हैं, फिर भी उन्हें सरकार कर्मचारी का दर्जा न्यूनतम वेतन तक नहीं दे रही है. उन्होंने न्यूनतम वेतन 21 हजार प्रतिमाह देने सहित कई मांगे कीं.

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ऊषा और आशा सहयोगिनी एकता यूनियन की महिलाओं का कहना है कि, देश और प्रदेश में मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को नियंत्रित करने के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में नियुक्त ऊषा और आशा सहयोगी कार्यकर्ताएं, स्वास्थ्य के क्षेत्र में गांव और बस्तियों में स्वास्थ्य विभाग की पहली प्रतिनिधि हैं. राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन और स्वास्थ्य विभाग की मदद-मार्गदर्शन करने और आम लोगों की स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का निदान करने में आशा कार्यकर्ता महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं.

कोविड-19 महामारी का शिकार हुई आशा कार्यकर्ता

ऊषा और आशा सहयोगिनी एकता यूनियन की महिलाओं ने बताया कि, कोविड-19 महामारी के दौर में आशा कार्यकर्ता स्वास्थ्य विभाग की देख-रेख के लिए काम कर रही हैं. पर्याप्त सुरक्षा उपकरण और पौष्टिक भोजन के अभाव में बड़ी संख्या में आशा कार्यकर्ता संक्रमित भी हुई हैं. पांच आशा कार्यकर्ताओं की मृत्यु भी हो चुकी है. स्वास्थ्य जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र में काम कर रही आशा कार्यकर्ता, आशा सहयोगी, कर्मचारी सभी दर्जा और न्यूनतम वेतन से वंचित हैं.

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