बड़वानी। आदिवासी बाहुल्य जिले में बुनियादी सुविधाओं के लिए आज भी लोग तरस रहे हैं. जिले में आज भी मूलभूत सुविधाओं का अभाव है. स्थानीय लोगों के लिए सड़क तक नहीं है, जिसके चलते यहां के लोगों को बारिश के समय में काफी परेशान होना पड़ता है. हाल ही में एक मामला सामने आया है, जब ग्रामीण एक बीमार व्यक्ति को खाट पर डालकर नाला पार करा रहे हैं.
सुविधाओं के लिए तरस रहे लोग, यहां कच्ची सड़क पार करने के लिए ग्रामीण लेते हैं खाट का सहारा
बड़वानी जिले में आज भी स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए लोग तरस रहे हैं. यहां ग्रामीणों को उपस्वास्थ्य केंद्र तक पहुंचने के लिए भी चारपाई का सहारा लेना पड़ रहा है.
गांव के मनीष नाम के युवक को बीमार होने पर अस्पताल ले जाने के लिए उसे खटिया पर लिटाकर परिजन दो से ढाई किलोमीटर तक ले गए, फिर इसे मोटरसाइकिल पर बिठाकर चिथरई होते हुए चाचरिया उपस्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया गया. जिले की कच्ची सड़कों पर वाहन और एम्बुलेंस न चलने पर बीमार व्यक्ति को दो से ढाई किमी पक्की सड़क तक खटिया पर डालकर ले जाना पड़ा. अगर किसी ग्रामीण को मोटरसाइकिल मिल भी जाए, तो भी एक किमी तक मरीज को खटिया पर लिटाकर नाले को पार कराना होता है. जिसके बाद उसे हॉस्पिटल तक पहुंचाना पड़ता है.
ये कोई पहला मामला नहीं है. ऐसा ही एक मामला सेंधवा तहसील के धनोरा से दस किमी दूर पाड़छा गांव के भिलाला फलिया में देखने को मिला था. जहां बारिश में कच्ची सड़क पर कीचड़ जमा हो गई थी. जिसके कारण दोपहिया वाहन और एम्बुलेंस गांव तक नहीं पहुंच पा रहे थे, ऐसे में ग्रामीण गर्भवती महिला को खटिए पर लिटाकर दो से ढाई किमी तक पैदल ले गए थे. जिसके बाद पक्की सड़क मिलने पर महिला को किसी तरह उपस्वास्थ्य केंद्र तक पहुंचाया गया था.