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Tomato Price Decrease: दो रुपए नहीं बिक रहा दो सौ रुपए किलो वाला टमाटर एमपी में व्यापारी टमाटर फेंकने को हुए मजबूर

कुछ दिनों पहले तक जिस टमाटर के भाव आसमान छू रहे थे. वही टमाटर अब बिक नहीं रहे हैं. एमपी के बड़वानी में आलम यह है कि व्यापारी टमाटर फेंकने को मजबूर हैं.

Tomato Price Decrease
टमाटर की चमक हुई कम

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Sep 27, 2023, 10:59 PM IST

टमाटर की चमक हुई कम

बड़वानी।दो महीने पहले तक सुर्ख हुए जा रहे टमाटर के भाव ऐसे क्या उतरे कि 200 के पार गए टमाटर का रेट दो रुपए किलो भी नहीं मिल पा रहा है. एमपी से कुछ ऐसी तस्वीरें आई हैं, टमाटर की जिन्हें देखने के बाद आप कहेंगे. दो महीने पहले गिनती में मुश्किल से खरीदे जा रहे थे जो टमाटर वो अब बेदर्दी से फेंके जा रहे हैं. जानवरों को खिलाए जा रहे हैं. एमपी के बड़वानी जिले की है ये तसवीरे देखकर आप भी कहेंगे...टमाटर के ये हाल नहीं देखे जाते.

200 नहीं अब दो के भाव भी नही टमाटर: दो महीने पहले तक 200 के पार जा रहे जो टमाटर आम आदमी की जेब तक नहीं पहुंच पा रहे थे. महीने भर में ही ये हालत हो गई कि टमाटर दो रुपए के भाव नहीं बिक रहे. किसान टमाटरों को फेंकने या मवेशियों को खिलाने मजबूर हो रहे हैं. बड़वानी से आई तस्वीरों में दिखाई देता है कि किस तरह किसान टमाटर फेंकने मजबूर है. बड़वानी के किसान रणछोड़ पटेल बताते हैं कि टमाटर की स्थिति बहुत खराब है. जो टमाटर दो महीने पहले दो सौ रुपए किलो बिक रहा था. दो रुपए भी नहीं बिक रहा है. मवेशियों को खिलाना पड़ रहा है. मंडियों में फेंक कर आना पड़ रहा है. किसानों ने जो लागत लगाई वो भी निकल नहीं पा रही है. मंडी का भाड़ा भी निकल नहीं पाता. आवक ज्यादा हो गई है. इसलिए व्यापारी भी टमाटर खरीदना नहीं चाहता है.

80 हजार की लागत पानी में गई:किसान भुरू बताते हैं कि उन्होंने दो एकड़ में 70-80 हजार की लागत से टमाटर लगाया था. उम्मीद थी कि अच्छा भाव मिल जाएगा, लेकिन टमाटर की वो गत हुई कि मजदूरी के पैसे भी नहीं निकल पाए. दो रुपए किलो जा रहा है टमाटर और मजदूरी एक दिन की तीन सौ रुपए देनी पड़ती है. अब कोई उम्मीद भी नहीं कि भाव सुधरेंगे. अब इसीलिए मवेशियों को टमाटर खिला दे रहे हैं.

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दो महीने पहले थे दो सौ पार टमाटर:दो महीने पहले टमाटर के भाव आसमान छू रहे थे. देश के 35 से ज्यादा शहरों में टमाटर के भाव का आंकड़ा दो सौ तो कहीं तीन सौ पार पहुंच रहा था. आम आदमी की थाली से टमाटर की सुर्खी गायब थी. असल में उसके बाद आवक बढ़ी, लेकिन इतनी बढ़ गई कि भाव मिलना मुश्किल हो गया.

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