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दो डैम का पानी रोकने-छोड़ने से गांवों का आपस में संपर्क टूटा, लोग हो रहे परेशान

बड़वानी में शहीद भीमा नायक परियोजना और सरदार सरोवर बांध के पानी रोकने और छोड़ने के कारण कई गांवों का संपर्क एक-दूसरे से टूट गया है, जिस कारण लोगों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

Villages lost contact
गांवों के संपर्क टूटे

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Published : Sep 4, 2020, 7:09 PM IST

बड़वानी।जिले में दो बांधों के पानी छोड़ने और रोकने से सैकड़ों गांवों का संपर्क आपस में टूट गया है. जगह-जगह पुल-पुलिया डूब गए हैं, लोग नाव के इंतजार में घंटों बैठे रहते हैं. इसके अलावा नाविक भी जब तक ज्यादा लोग इकट्ठा नहीं हो जाते हैं तब तक लोगों को इंतजार करवाता है. बड़वानी में शहीद भीमा नायक परियोजना के तहत छोड़े गए पानी और सरदार सरोवर बांध के जमा पानी ने सैकड़ों गांव के लोगों को नाव का सहारा लेने को मजबूर कर दिया है.

गांवों के संपर्क टूटे

कर रहे परेशानियों का सामना

जिले की गोई नदी जो नर्मदा नदी में जाकर मिलती है इस पर जल परियोजना निर्मित की गई है. इस परियोजना के चलते बांध से जलभराव होने के कारण लगातार पानी छोड़ा जा रहा है. वहीं नर्मदा का बैक वाटर गोई नदी में घुस आया है, जिसके चलते वनांचल के कई क्षेत्रों में लोगों को आवाजाही में परेशानी हो रही है क्योंकि दोनों नदी के पानी समाहित होने से कई स्थानों पर पुल-पुलिया डूब गए हैं. ऐसे में ग्रामीण अपनी मोटरसाइकिल नाव पर रखकर पार हो रहे हैं.

कई मार्गों के संपर्क टूटे
नर्मदा नदी पर बने सरदार सरोवर बांध के 23 में से 13 गेट बंद कर दिए गए हैं, जिसके चलते नर्मदा का बैक वाटर बढ़ने लगा है जो अपनी सहायक नदियों में भी समाहित हो रहा है. वहीं जिले में गोई नदी पर बने बांध से पानी छोड़ा जा रहा है जिसके कारण इन दोनों नदियों के बढ़ते जलस्तर ने कई राह अवरुद्ध कर दिए हैं.

नाव से आने-जाने को ग्रामीण मजबूर
ग्राम भामटा से चिपाखेड़ी की दूरी करीब चार किलोमीटर है लेकिन गोई नदी में सरदार सरोवर बांध का बैक वाटर आने से लोगों को तीन जगहों पर पुलिया के ऊपर पानी बहने से आवाजाही में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. चीपाखेड़ी से दो किलोमीटर पहले स्थित पुलिया के ऊपर से पानी बह रहा है, इस कारण नाव से ग्रामीण आवाजाही करने को मजबूर हैं.

नहीं बना अब तक पुल

वरलीबाई अपनी दो महीने की बेटी कविता के साथ भवती अस्पताल में प्रसव संबंधी दस्तावेज देने गई थी लेकिन घर लौटने पर उन्हें नाव के लिए घंटों इंतजार करना पड़ा. पिछले साल तत्कालीन कलेक्टर ने इन रास्तों पर बैक वाटर आने से रास्ता बंद होने की समस्या के चलते पहाड़ी पर रास्ता बनाया था, लेकिन ग्रामीणों को कच्चे मार्ग से तीन किलोमीटर का फेरा लगाना पड़ता है. पुल बनवाने की मांग की थी जो अब तक अधूरी है.

500 लोग रोज करते हैं पार

नाव चालाक कालू केवट ने बताया कि रोजाना 400 से 500 लोग इस मार्ग से आना-जाना करते हैं. वहीं 100 से 150 बाइक नाव पार कराई जाती है, लेकिन अब एमरजेंसी में ही बाइक इस पार से उस पार कर रहे हैं.

बैकवाटर ने बढ़ाई मुश्किल
सरदार सरोवर बांध के गेट बंद करने के बाद और नर्मदा में मिलने वाली नदियों के बढ़ते उफान से बैकवॉटर भी बढ़ गया है, जिसके कारण कई गांवों का संपर्क टूट गया है. कई-कई जगहों पर आधा-आधा किलोमीटर के अंतराल में पुल-पुलियाओं के डूबने से लोगों को नाव का सहारा लेना पड़ता है. साथ ही नाविक अधिक संख्या होने पर ही लोगों को पुलिया पार कराता है, जिसके कारण तो इन लोगों को घंटों इंतजार करना पड़ता है. सालों से चली आ रही इस तरह की समस्या से ग्रामीण तो खासे परेशान हैं लेकिन अफसरों का इस ओर कोई ध्यान नहीं है.

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