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विस्थापन का दर्द, हर साल बाढ़ में फंस जाती है हजारों जिंदगियां, आखिर कब मिलेगा पूरा हक !

मध्य प्रदेश में इस बार बारिश ने भारी तबाही मचाई. बड़वानी जिले में भी नर्मदा और सरदार सरोवर बांध के विस्थापितों के परेशानियां झेलनी पड़ी. गांव के गांव पूरी तरह बाढ़ में डूब चुके हैं. लेकिन इनकी गुहार सुनने वालो कोई नहीं है. देखिए विस्थापितों पर ईटीवी भारत की यह स्पेशल रिपोर्ट...

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विस्थापन का दर्द

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Published : Sep 3, 2020, 6:32 PM IST

बड़वानी।मध्य प्रदेश में बारिश अब थम चुकी है, जैसे-जैसे बाढ़ कम होती जा रही है, वैसे-वैसे बर्बादी का मंजर दिखने लगा. नर्मदाचंल में बसे बड़वानी जिले में बाढ़ ने सबसे ज्यादा तबाही मचाई. जहां सरदार सरोवर से बांध से सटे गांव पूरी तरह बाढ़ के पानी में डूब गए. बाढ़ ने ऐसा कहर बरपाया कि लोगों का घरबार उजड़ गया, सामान बह गया. बस पीछे छूट गए बर्बादी के निशान.

हर साल बाढ़ में फंस जाती है हजारों जिंदगियां

हंसते-खेलते गांव डापू में तब्दील हो चुके हैं. जिन सड़कों पर गाड़ियां सरपट दौड़ती थी, वहां नावें चल रही है. नाव से ही लोगों का रेस्क्यू किया जा रहा है. बड़वानी जिले में नर्मदा किनारे रह रहे लोग बढ़ते बैक वाटर के चलते अपना खेत, घर खलियान सब छोड़ चुके हैं. सालों से मुआवजे व आर्थिक पैकेज की मांग पर धरना प्रदर्शन भी हो रहा, लेकिन इन लोगों के लिए यह कोई नयी बात नहीं है.

हर साल होता है ग्रामीण का नुकसान

सरदार सरोवर बांध से प्रभावित है कई गांव

जब से सरदार सरोवर बांध बना है. तब से ही बड़वानी और धार जिले के करीब 140 गांव के लोग इसी तरह जीने को मजबूर है. इन लोगों का कहना है कि उन्हें आज तक उनका हक नहीं मिला. वह सालों से पुनर्वास झेलने को मजबूर है. जब-जब बाढ़ आती है, इन लोगों का नुकसान होता है. जिस जमीन पर फसल लगाते है, वह पूरी तरह डूब जाती है. हर साल घर की मरम्मत करते हैं, वह भी बारिश की भेट चढ़ जाता है. आखिर बड़ा सवाल यह है कि इन लोगों अपना हक कब मिलेगा.

धरने पर बैठे विस्थापित लोग

धरने पर बैठे लोग

इस बार भी बारिश के चलते बाढ़ ने भारी तबाही मचाई जिसके बाद कई गांव पूरी तरह जलमग्न हो गए. बाढ़ से प्रभावित लोगों ने नर्मदा बचाओं आंदोलन के बैनर तले अनशन शुरु किया है. उनका कहना है कि अब सरकार हमारी समस्याओं का उचित समाधान करे. डूब प्रभावित कहते है यह तो हमारे साथ सालों से होता चला आ रहा है. जब डूबकर ही मरना है तो फिर नर्मदा में जलसमाधि लेकर ही अपना बलिदान क्यों न दे दें. लेकिन हम यह जगह तब तक नहीं छोड़ेंगे, जब तक हमे अपना हक नहीं मिल जाता.

बाढ़ में डूबे कई गांव

मंत्री ने किया बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा

बड़ा सवाल यह है कि सरकारे बदलती रही, लेकिन इनकी सुनवाई नहीं होती बस मिलता है तो सिर्फ आश्वासन. वर्तमान में एक बार फिर जब इन ग्रामीणों का सब कुछ पानी में डूबने को तैयार है, तब कैबिनेट मंत्री प्रेम से सिंह पटेल ने कलेक्टर को समिति बनाकर मुआवजा दिलाने की बात कही है. मंत्री ने कलेक्टर को निर्देशित करते हुए एक समिति का गठन करने के बाद शिकायतों का निराकरण कराने का आश्वासन फिर दे दिया है.

टापू में तब्दील हो गए गांव

सालों से विस्थापन का शिकार हजारों ग्रामीण

मंत्रीजी कुछ भी कहे लेकिन इन लोगों के जख्म केवल मुआवजे से भरने वाले नहीं है. जिनका घरबार सबकुछ सरदार सरोवर बांध की भेट चढ़ चुका हो और उन्हें अपना हक भी नहीं मिल रहा. ऐसे लोगों की गुहार आखिर सरकार कब सुनेगी. सरकारें कहती है कि हमने सरदार सरोवर बांध के विस्तापितों को उनका हक दे दिया है. अगर यह सही होता तो फिर यह लोग धरना प्रदर्शन करने को मजबूर क्यों है. आज भी यह लोग नर्मदा के डापुओं पर रहने को मजबूर है, जहां पता नहीं कब सरकार इनकी गुहार सुनेगी और इनका हक इन्हें दिलाएगी.

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