बड़वानी। जिला मुख्यालय पर इन दिनों मां आदि शक्ति की भक्ति के लिए शहर के मंदिरों में सुबह से शाम तक शृद्धालुओं का तांता लगा देखा जा सकता है. वहीं जिले के रियासत के महाराजा की कुलदेवी स्वयं भू होकर स्थापित हैं.
अनोखी है मां कालिका के स्थापित होने की कहानी
वहीं स्टेट कालीन समय मे बड़वानी रियासत के महाराजा को मां कालिका ने स्वप्न में दर्शन दिए और जिस जगह मन्दिर है उस स्थान पर खुदाई करके बाहर निकालने की मंशा जाहिर की, तब महाराजा ने नियत स्थान पर खुदाई की जिसकी खुदाई में एक पाषाण मूर्ति मिली और उसके साथ ही पानी भी निकल आया जिसे महाराज ने कुंए का स्वरूप दे दिया, तब से लेकर अभी तक भीषण गर्मी के दिनों में भी कुआं सूखता नहीं है.
बता दें कि माताजी की मूर्ति को जमीन से निकालने के बाद एक पीपल के पेड़ के पास एक छोटा सा मन्दिर बनाया गया था, लेकिन मूर्ति अचानक मन्दिर की बजाय पीपल के वृक्ष के नीचे विराजित हो जाती थी. वहीं लगातार इस तरह कि घटना होने पर महाराज ने यथास्थान पर मूर्ति को रहने दिया और मां कालिका की मूर्ति सुबह,दोपहर और शाम को अपने अलग अलग स्वरूप में दर्शन देती रही.
वहीं मूर्ति के समीप पीपल की गोद में एक छोटा गड्ढा है जो कि मूर्ति के ठीक दांए पैर की तरफ स्थित है और इस गड्ढे से निरन्तर पानी निकलता है जो कि असाध्य रोग को दूर करता है. वहीं इसी गड्ढे में नवरात्रि में कभी कभी दूध जैसा पानी भी निकलता है जिसे माता का चमत्कार माना जाता है.
इसके अलावा मन्दिर में मां कालिका की पूर्ण स्वरूप में आनंदमयी मूर्ति स्थापित है और साथ गजानन महाराज का मंदिर भी है. नवरात्रि पर यहां मां कालिका को रथ पर विराजित कर शहर भ्रमण कराया जाता है, जिसके बाद मन्दिर में विशेष पाठ होता है व साथ ही परिसर में गरबा नृत्य का आयोजन होता है जिसके बाद दशहरे के बाद जनसहयोग से बड़े भंडारे का आयोजन भी किया जाता है.