बड़वानी।राजपुर विधानसभा से 2018 में कांग्रेस के बाला बच्चन जीतकर विधायक बने थे. बाला बच्चन कमलनाथ की 15 महीने वाली सरकार में कैबीनेट मंत्री भी रहे हैं. इस पर आदिवासी समाज की संख्या सर्वाधिक है और यही उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला करती है. आदिवासी के साथ यह सीट किसान बाहुल्य वाली भी मानी जाती है. इसीलिए यहां दो ही विषय चर्चा में रहते हैं. पहला आदिवासी और दूसरा किसानों से जुड़े मामले, लेकिन मुद्दे चर्चा में ही रहते हैं, हल नहीं होते.
राजपुर क्षेत्र का हाल: बड़वानी जिले से करीब 32 किलोमीटर दूर स्थित राजपुर कस्बे की हालत यहां की रूपा नदी देखकर ही लगाया जा सकता है. राजपुर में देखने के लिए पक्की और चमचमाती सड़कें तो हैं और घरों में नल कनेक्शन भी हैं, लेकिन इनमें पानी नहीं आता है. सड़कों पर बेरोजगार अधिक दिखाई देते हैं. राजपुर में विकास की हालत बेहद खराब है. काम कम और क्रेडिट लेने की होड़ अधिक दिखाई देती है. आदिवासियों और किसानों के लिए ढेरों योजनाएं हैं, लेकिन वे यहां जमीनी स्तर पर कम ही दिखाई देती हैं. जनता की शिकायत है कि जनप्रतिनिधि फिर चाहे किसी भी पार्टी का हो, वो चुनाव जीतने के बाद कम ही नजर आता है. इसलिए वोटिंग परसेंट भी यहां कम ही रहता है.
राजपुर सीट पर त्रिकोणीय बना मुकाबला: डेवलपमेंट को लेकर जनता की नाराजगी सरकार से अधिक है. यही कारण है कि पिछले चार चुनावों में से भाजपा सिर्फ एक बार जीत दर्ज कर सकी है. हाल यह है कि 2018 में भाजपा प्रत्याशी के निधन के बाद भी बीजेपी को सहानुभूति नहीं मिली और कांग्रेस के बाला बच्चन ने जीत हासिल की थी. अभी तक भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला देखने को मिला है, लेकिन अब जय युवा आदिवासी संगठन (जयस) ने मामला त्रिकोणीय बना दिया है.
हारे हुए प्रत्याशी को बीजेपी ने दिया दोबारा मौका: राजपुर विधानसभा सीट पर दावेदारों की स्थिति अब एक तरफा है. बीजेपी ने जहां अंतर सिंह पटेल को दोबारा टिकट देकर अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया है. बावजूद इसके वे पिछला चुनाव बाला बच्चन से हार गए थे. कांग्रेस उम्मीदवार बाला बच्चन को जहां 85,513 वोट मिले थे, वहीं अंतर पटेल को 84,581 वोट मिले थे. शायद हार का अंतर कम रहा, इसलिए भाजपा ने दोबारा पटेल को अवसर दिया, क्योंकि 2013 के चुनाव में बाला बच्चन ने बीजेपी के देवी सिंह पटेल को 11 हजार से अधिक मतों से हराया था. बाला बच्चन के मुकाबले अंतर सिंह पटेल कमजोर नेता माने जाते हैं, क्योंकि बाला बच्चन दिग्विजय सिंह सरकार में स्वास्थ्य मंत्री और कमलनाथ सरकार में गृहमंत्री जैसे महत्वपूर्ण महकमों की कमान संभाल चुके हैं. आखिरी बार बीजेपी यहां से 2008 में जीत पाई थी. इसके अलावा 1998, 1990 और 1977 में जनता पार्टी ने यहां चुनाव जीता है. वहीं कांग्रेस ने 2003, 1993, 1985, 1980 में चुनाव जीता है.