बड़वानी। मिर्ची की फसल पर जिले में एक बार फिर वायरस का अटैक हुआ है, जिस कारण निमाड़ की तीखी व लाल सुर्ख मिर्ची के उत्पादन में लगातार गिरावट आ रही है. हालात ये हैं कि, किसानों को खेत से मिर्च उखाड़कर फेंकना पड़ रही है. बता दें कि, वायरस का ये कोई नया मामला नहीं है. सन 2014 से लगातार मिर्च पर वायरस का अटैक होता आ रहा है और किसानों मिर्च की फसल में नुकसान झेलते हुए उपज को फेंकने को मजबूर हैं. भारतीय किसान संघ के जिला अध्यक्ष मंसाराम पंचोले की माने तो, 'संघ ने कई बार धरना प्रदर्शन से लेकर ज्ञापन तक सीएम शिवराज को सौंपे हैं. बावजूद इसके, किसानों की मदद नहीं हो पाई'.
Barwani: नुकसान झेल रहे अन्नदाता, मिर्च की फसल पर वायरस अटैक से हजारों हेक्टेयर फसल बर्बाद, जानें कैसे करें बचाव - Farmers throwing away chilli crop
बड़वानी में लगातार मिर्च की फसल पर हो रहे वायरस अटैक से क्षेत्र के अन्नदाताओं में काफी निराशा है. सालो से वायरस का फसलों पर अटैक होने से उन्हें आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है. साथ ही सरकारी मदद भी उन्हें ना के बराबर मिल रही है. फिर से वायरस के चलते हजारों हेक्टेयर मिर्च की फसल बर्बाद होने की कगार पर है. निराश किसान अपनी उपज को उखाड़कर फेंकने पर मजबूर हैं. तम्माम शिकवे शिकायत के बाद भी शासन प्रशासन का ध्यान इस ओर नहीं है.
हजारों हेक्टेयर मिर्च की फसल बर्बाद: वायरस के अटैक के कारण किसानों को हर बार मिर्च की खेती में नुकसान उठाते हुए फेंकना पड़ रहा है. इस बार भी करीब 30 हजार हेक्टेयर में लगी मिर्च की खेती बर्बाद हो गई, लेकिन सरकार के या जवाबदारों के कान तक जूं नही रेंगी. इस मामले में कृषि विज्ञान केंद्र के डॉ. डीके जैन का कहना है कि, 2014 में कृषि अनुसंधान नई दिल्ली की टीम आई थी, जब पहली बार वायरस का अटेक हुआ था. उन्होंने इसका मुख्य कारण सफेद मक्खी को माना था.
सफेद मक्खी कर रही मिर्च की फसल बर्बाद: कृषि वैज्ञानिक ने बताया कि, निमाड़ में वायरस लगातार अटैक कर रहा है. ये भी माना कि, इस समय क्षेत्र में मिर्च का क्षेत्रफल घटा है, उसका कारण वायरस ही है. उन्होनें मानना कि, इसका कोई उपाय नहीं है. डॉ. जैन के अनुसार किसान बीटी कॉटन क्रॉप में मिर्च की फसल करते हैं. जिससे सफेद मक्खी फसल पर आ जाती है और कई प्रकार के वायरस को जन्म देती है. अगर किसान को नुकसान से बचना है तो उन्हें पद्धति बदलना होगी. डॉ. जैन ने बताया कि, किसान पौधे को नेट या पोली फेवरेट लगा कर उसे करीब 55 से 60 दिन आब्जर्व में रखें, ताकि फसल तक सफेद मक्खी न पंहुच पाए. इसमें खर्च तो होगा, लेकिन फसल पर वायरस अटैक नहीं कर पाएगा.