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आस्था या अंधविश्वास: दहकते अंगारों पर चलते हैं श्रद्धालु, सैकड़ों साल से चली आ रही है परंपरा - Hindi news

बड़वानी में कई स्थानों पर होलीका दहन के बाद 'धुलंडी' के अवसर पर गल-चूल का आयोजन किया जाता है. जहां श्रद्धालु धधकते अंगारों पर चलकर अपनी आस्था और श्रद्धा का परिचय देते हैं.

Here villagers walk on burning coals to fulfill the vow
यहां ग्रामीण दहकते अंगारों पर चलकर देते हैं 'आस्था की परीक्षा'

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Published : Mar 11, 2020, 7:44 AM IST

Updated : Mar 11, 2020, 9:11 AM IST

बड़वानी। जिले में कई स्थानों पर होलिका दहन के बाद 'धुलंडी' के अवसर पर गल-चूल का आयोजन किया जाता है. जहां श्रद्धालु धधकते अंगारों पर चलकर अपनी आस्था और श्रद्धा का परिचय देते हैं. जिसमें दहकते अंगारों पर पूजा पाठ के बाद पहले पुजारी नंगे पैर गुजरते हैं. फिर इसके बाद मन्नत मांगने वाले बच्चे, महिला और पुरुष निकले हैं. इस पूरी प्रक्रिया में ग्रामीण एक दूसरे पर रंग-बिरंगे गुलाल डालकर इस त्योहार को हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं. होली का यह पर्व रंगों से सराबोर हो जाता है.

दहकते अंगारों पर चलते हैं श्रद्धालु

फाल्गुन पूर्णिमा के दूसरे दिन ग्रामीण क्षेत्रों में धुलंडी पर्व पर गल चूल का आयोजन किया जाता है. इस प्रथा के पीछे लोगों का यह मत है कि, जो व्यक्ति यहां धार्मिक श्रद्धा के साथ आता है, उसकी मन्नत पूरी हो जाती है. जिसमें वह अंगारों पर चलकर अपनी आस्था का परिचय देता है.

ग्रामीणों के अनुसार यह परंपरा सैकड़ों सालों से चली आ रही है और आज भी जारी है. यह आयोजन अंजड़ नगर के कोली समाज द्वार ज्वाला माता मंदिर किया जाता है.

Last Updated : Mar 11, 2020, 9:11 AM IST

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