बड़वानी। जिला अस्पताल में नेत्र यूनिट इन दिनों नेत्र सहायकों के भरोसे ही चल रहा है. उनकी जांच के आधार पर मोतियाबिंद के ऑपरेशन के लिए मरीजों को इंदौर के निजी अस्पताल भेजा जा रहा है. जहां करीब 35 मरीजों की आंखों की जांच कर इंदौर निजी अस्पताल भेजा गया. नेत्र विभाग में पदस्थ दो डॉक्टर करीब दो महीने से अवकाश पर हैं, ऐसे में मरीजों को नेत्र सहायकों से जांच करवाना उनकी मजबूरी हो गई है.
आंखफोड़वा कांड के 4 साल बाद भी नेत्र विभाग के हालात बदतर, सहायक के भरोसे डिपार्टमेंट - नेत्र यूनिट
बड़वानी के जिला अस्पताल में नेत्र यूनिट में पदस्थ दो डॉक्टर करीब दो महीने से अवकाश पर हैं, जिसके चलते नेत्र यूनिट में आंखों की जांच नेत्र सहायकों के भरोसे है.
![आंखफोड़वा कांड के 4 साल बाद भी नेत्र विभाग के हालात बदतर, सहायक के भरोसे डिपार्टमेंट eye unit n the barwani district hospital relies on eye assistants](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/768-512-5784335-thumbnail-3x2-img.jpg)
जिले में 4 साल पहले हुए आंखफोड़वा कांड जिसमें 67 लोगों की आंखें प्रभावित हुई थीं, इस घटना के बाद जिला अस्पताल में मोतियाबिंद का ऑपरेशन बंद कर दिया गया था. वहीं बमुश्किल शुरू हुआ, तो डॉक्टरों के अभाव में झाबुआ और अन्य जिलों से डॉक्टर ऑपरेशन करने आते हैं. ऐसा नहीं है कि यहां नेत्र विभाग में डॉक्टर नहीं हैं, यहां दो डॉक्टर पदस्थ हैं, लेकिन वे करीब दो माह से अवकाश पर हैं. ऐसे में नेत्र विभाग में आंखों की जांच नेत्र सहायकों के भरोसे है, जो रोजाना 25 से 30 मरीजों की आंखों की जांच करते हैं.