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सरदार सरोवर बांध भरने से किसानों के खेत बने टापू, सरकार से लगाई मुआवजे की गुहार - Farmers farm became an island

सरदार सरोवर बांध को भरने की कवायद के चलते नर्मदा किनारे बसे कई गांव जलमग्न हो गए है. वहीं, लापरवाही के चलते डूब प्रभावित गांव के ग्रामीण मुआवजे की आस लगाए बैठे हैं.

sardar sarovar dam
सरदार सरोवर बांध को भरने से इलाके बन गए टापू

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Published : Sep 17, 2020, 9:46 AM IST

Updated : Sep 17, 2020, 12:16 PM IST

बड़वानी। आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 70वां जन्मदिन हैं और इसी दिन पिछले साल पीएम ने बांध स्थल का दौरा कर जन्मदिन मनाया था. वहीं बांध को 138.68 मीटर तक भरने का लगातार दूसरा साल है, लेकिन सरदार सरोवर बांध को भरने की जद्दोजहद में इसके दूसरे पहलुओं को नजरअंदाज कर दिया गया. बांध से सबसे ज्यादा डूब का दर्द उन लोगों को है जो अपने हक, अधिकार को लेकर लगातार लड़ाई लड़ रहे हैं. पिछले साल इसी तरह डूब से 8 माह जलमग्न क्षेत्र खाली हुए ही थे कि कोरोना ने किसानों की कमर तोड़ दी और रही सही कसर फिर एक बार बांध को पूरा भरने में पूरी हो गई.

सरदार सरोवर बांध भरने से जलमग्न हुए गांव

गांव बन गए टापू

गांव के मकान डूब कर जीर्णशीर्ण अवस्था में है, तो कुछ स्थान टापू बन गए हैं. हैरानी की बात ये है कि अधिकारियों ने अपने हिसाब से सर्वे कर कुछ को मुआवजा दे दिया तो कुछ को नजर अंदाज कर दिया. पिपलूद में किसान दिलीप की 10 एकड़ खेती टापू बन गई है, चारों और नर्मदा का बैकवाटर फैला है, जबकि उनको छोड़कर सबको प्रभावित मान मुआवजा दे दिया गया. बेबस 14 किसानों की 120 एकड़ खेती भी नर्मदा के बैकवाटर की भेंट चढ़ रही हैं.

कई गांव बन गए टापू

परेशान किसान कर रहे इच्छामृत्यु की मांग

मंत्री ने 15 दिन पहले कलेक्टर को डूब प्रभावितों की समस्याओं को सुलझाने के लिए कमेटी को आदेश दिए, वह भी हवा हवाई हो गए. थक हार कर किसान अब प्रशासन के माध्यम से परिजनों के साथ इच्छामृत्यु की मांग कर रहे हैं. बता दें कि सरदार सरोवर बांध को 138.68 मीटर तक अधिकतम भरना है, वर्तमान में 138 मीटर तक जिले में जलस्तर है.

बढ़े जलस्तर से डूब गए 192 गांव

सरदार सरोवर बांध के बनने से सबसे ज्यादा डूब का मंजर बड़वानी और धार जिले में देखने को मिलता है. इसके अलावा झाबुआ, अलीराजपुर और खरगोन जिले तक के गांव में डूब की समस्या बैक वाटर से पैदा हो रही है. सरदार सरोवर को अधिकतम भरने पर मध्यप्रदेश में नर्मदा घाटी में बसे 192 गांवों और एक कस्बा हमेशा हमेशा के लिए डूब की जद में आ गया है. लगभग 32,000 परिवार प्रभावित हुए हैं, कई परिवार आज भी अपने हक और अधिकार की लड़ाई लड़ रहे हैं.

कई गांव बन गए टापू

7 हजार एकड़ जमीन बन चुकी हैं टापू

जिले में कहीं क्रमिक अनशन डूब प्रभावित गांव में चल रहा है तो कहीं अधिकारियों के दफ्तरों पर प्रदर्शन हो रहा है, लेकिन उनकी मांगों को मानने के बजाय केवल कोरे आश्वासन दिए जा रहे हैं. जिसके चलते लोगों में आक्रोश व्याप्त है. नर्मदा का बैक वाटर 138 मीटर पर पहुंच गया है, जिससे निमाड़ क्षेत्र के सैकड़ों गांव जलमग्न हो रहे हैं. अगर पानी ऐसी ही गति से बढ़ता रहा तो कई गांव और जलमग्न होंगे एक ओर जहां हजारों एकड़ जमीन डूब चुकी है. वहीं करीब 7000 हेक्टेयर जमीन टापू बन चुकी है. आज भी सैकड़ों परिवार कृषि भूमि के बदले सर्वोच्च अदालत के फैसले के अनुसार साठ लाख रुपए की मांग कर रहे हैं.

कैबिनेट मंत्री के निर्देशों की अधिकारियों ने उड़ाई धज्जियां

प्रभावित पिछले 20 दिनों से बढ़ते जलस्तर के बीच क्रमिक अनशन पर डटे हुए हैं, लेकिन किसी जनप्रतिनिधि या अधिकारी ने दौरा करने की जहमत नहीं उठाई. विधानसभा से विधायक व कैबिनेट मंत्री ने अधिकारियों को समिति बनाकर समस्याओं के हल की बात जरूर की लेकिन इस और कोई ध्यान नहीं दिया गया.

पुर्नवास, मुआवजा, आर्थिक पैकेज और नर्मदा नदी से जुड़े रोजगार मूलक प्रभावित लोग सरदार सरोवर बांध के बैकवाटर के बीच जीवन मरण का संघर्ष कर रहे हैं. आधिकारियों द्वारा की गई विसंगतियों का खामियाजा घाटी के लोग उठा रहे हैं.

Last Updated : Sep 17, 2020, 12:16 PM IST

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