बड़वानी। महाराष्ट्र की सीमा पर हजारों मजदूरों का बीते कई दिनों से डेरा लगा हुआ था. जिसके चलते आए दिन हंगामा और चक्काजाम हो रहा था. वहीं शुक्रवार को प्रशासनिक अधिकारियों के दौरे से पहले सीमा पर नजारा कुछ और ही देखने को मिला. बता दें कि, आए दिन हो रहे हंगामों की खबरों के बीच शुक्रवार को इंदौर संभाग कमिश्नर आकाश त्रिपाठी और आईजी विवेक शर्मा ने दौरा किया था. उससे पहले देखा गया कि, करीब छह हजार से अधिक मजदूरों को बसों के माध्यम से उनके घरों तक पहुंचाया जा रहा है.
ग्राउंड रिपोर्ट: कमिश्नर-आईजी के दौरे से पहले महाराष्ट्र सीमा से प्रवासी मजदूरों की भीड़ गायब
बड़वानी जिले में महाराष्ट्र की सीमा पर डटे हजारों मजदूरों को उनके घर तक पहुंचाया जा रहा है. बता दें कि, यह मजदूर बीते कई दिनों से प्रशासनिक रस्साकशी के चलते सीमा पर फंसे हुए थे, लेकिन आईजी और कमिश्नर के दौरे से पहले ही इन्हें बस से रवाना कर दिया गया.
दरअसल इससे पहले जिले में महाराष्ट्र सीमा पर आए दिन यूपी और बिहार के मजदूरों को महाराष्ट्र सरकार द्वारा बड़ी संख्या पर बसों से उतारा जा रहा था. जिसके बाद से ही लगातार घर जाने की जल्दी और खाने-पीने की असुविधा को लेकर खूब हंगामा और चक्काजाम हो रहा था. बात यहां तक बढ़ गई थी कि, पथराव तक कि नौबत आ गई थी. मामले की जानकारी जब उच्च स्तर के अधिकारियों को लगी तो प्रशासनिक हलचल तेज हुई. इसी के चलते इंदौर संभाग कमिश्नर आकाश त्रिपाठी और आईजी विवेक शर्मा सीमा पर पहुंचे. बताया जा रहा है कि, अधिकारियों के पहुंचने से पहले ही भीड़ गायब हो चुकी थी. बता दें कि, कल तक हजारों की भीड़ अपनी बेबसी को लेकर हंगामा कर रही थी, वह अचानक खत्म हो गई. प्रशासन के अनुसार सुबह 11 बजे तक महाराष्ट्र से मध्यप्रदेश के बड़ी बिजासन में आए यूपी और बिहार के छह हजार से अधिक मजदूरों को खाना-पानी और स्वास्थ्य परीक्षण के पश्चात 160 बसों के माध्यम से उनके राज्यों के लिए रवाना किया गया है.
ईटीवी भारत ने जब ग्राउंड जीरो पर जाकर देखा, तो अधिकारियों के आने से पहले सीमा पर व्यवस्था पहले के मुकाबले चाकचौबंद नजर आ रही रही थी, जो कई सवाल खड़े कर रही थी. अचानक व्यवस्थाएं सुदृढ नजर आने लगी, साफ-सफाई भी हो रही थी. बसें भी बड़ी संख्या में उपलब्ध थी, लेकिन भीड़ जो कल तक हंगामा कर रही थी वो नदारद थी. हालांकि महाराष्ट्र सरकार द्वारा लगातार लोगों को छोड़ा जा रहा है. कल तक स्थानीय प्रशासन भी सीमा पर बेबस नजर आ रहा था, लेकिन बड़े अधिकारियों के दौरे ने सीमा पर मजदूरों की भीड़ कम कर दी और बसों की संख्या भी इतनी बढ़ गई कि सवारी कम पड़ गई.