बड़वानी। जिले में मानसून से जिस तरह से उम्मीद थी उस मुताबिक फिलहाल बारिश दर्ज नहीं हो पाई है. हालांकि ओंकारेश्वर परियोजना के बांध की 4 टरबाइन से लगातार पानी छोड़ने के चलते नर्मदा का जलस्तर बढ़ रहा है. लगातार पानी आने से राजघाट कुकरा गांव में नर्मदा के जलस्तर में 2 मीटर से ज्यादा की बढ़ोतरी हो चुकी है. वर्तमान में नर्मदा नदी का जलस्तर 121 मीटर से अधिक है. साथ ही सरदार सरोवर बांध के गेट बंद होने से बैकवाटर के चलते नर्मदा का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है.
4 माह घर में होना पढ़ता है कैद: राजघाट में खतरे का निशान 123.280 है. वहीं, जलस्तर 130 मीटर से अधिक होने पर राजघाट से सटे खेत जलमग्न होने लगते हैं. इसी तरह डेढ़ एकड़ क्षेत्रफल में बसे राजघाट कुकरा गांव के 17 परिवारों की सांसें भी तेज होती जा रही हैं. उन्हें डर है कि अगर इस बार प्रशासन ने नाव की व्यवस्था नहीं की तो बारिश के चार महीने उन्हें गांव में ही कैद होकर रहना पड़ेगा. फिलहाल नर्मदा का जलस्तर राजघाट में खतरे के निशान से 2 मीटर नीचे है. 127.300 मीटर जलस्तर होने पर पुराना पुल डूब जाता है, जबकि 130 मीटर की स्थिति में राजघाट का सड़क संपर्क बंद हो जाता है.
विस्थापित लोगों को मुआवजे का इंतेजार: 2018 में विस्थापित लोग मुआवजे के चक्कर में कुकरा गांव में डटे हैं. साल 2018 में विस्थापित हुए कुकरा गांव के रहने वाले लोग मुआवजा नहीं मिलने से संघर्ष कर रहे हैं. साथ ही हर साल बारिश में उनके लिए जीवन मरण का सवाल होता है. प्रभावितों के अनुसार, सरकार ने उन्हें 300 km दूर ऐसी जमीनें दी थीं, जो पथरीली व बंजर भूमि थी ऐसे में हम वापस लौट आए.
17 परिवार के 67 लोग कुकरा में रह रहे:जिला मुख्यालय से महज किलोमीटर दूर नर्मदा नदी के किनारे पर कुकरा गांव जो सरदार सरोवर बांध से डूब प्रभावित होने के बावजूद गांव में अब भी 67 लोग रहते हैं. जबकि कई परिवार विस्थापित होकर दूसरी जगह चले गए. कुछ परिवार से बच्चे और महिलाएं बारिश के चलते चार माह के लिए बड़वानी चले जाते हैं. जो शहर का खर्च उठा पाने में सक्षम नहीं हैं, वे रिश्तेदारों के यहां डेरा डालते हैं. गांव की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि यहां सितंबर से जून तक कभी भी आया जाया जा सकता है. पहली नजर में यह जगह किसी पर्यटन स्थल जैसी दिखती है, लेकिन जैसे ही जुलाई का महीना शुरू होता है. यहां मुश्किलें बढ़ना शुरू हो जाती हैं. इसकी वजह यह है कि जैसे-जैसे नर्मदा का जलस्तर बढ़ता जाता है, बैक वाटर गांव के चारों तरफ फैल जाता है. अगर नर्मदा का जलस्तर 130 मीटर से अधिक पहुंच जाए तो गांव से चार किलोमीटर दूर तक पानी ही पानी होता है.