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Barwani Displacement: विस्थापन का दर्द! मुआवजे के लिए डूब प्रभावित गांव में डटे 67 लोग, क्या अघोषित कारावास में बंद हो जाएगी जिंदगियां

विस्थापन का दर्द जो झेलता है, वहीं उस दर्द की पीड़ा को समझता है. बड़वानी जिले में आज भी कई परिवार विस्थापन का दर्द झेल रहे हैं. नर्मदा नदी के किनारे पर बसा कुकरा गांव जो सरदार सरोवर बांध से डूब प्रभावित हो गया है, इसके बावजूद गांव में अब भी 67 लोग वहीं रहते हैं.

badwani pain of displacement
कई परिवार कर चुके हैं पलायन

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Published : Jul 10, 2023, 7:42 PM IST

Updated : Jul 10, 2023, 10:37 PM IST

विस्थापन का दर्द झेल रहे ग्रामीण

बड़वानी। जिले में मानसून से जिस तरह से उम्मीद थी उस मुताबिक फिलहाल बारिश दर्ज नहीं हो पाई है. हालांकि ओंकारेश्वर परियोजना के बांध की 4 टरबाइन से लगातार पानी छोड़ने के चलते नर्मदा का जलस्तर बढ़ रहा है. लगातार पानी आने से राजघाट कुकरा गांव में नर्मदा के जलस्तर में 2 मीटर से ज्यादा की बढ़ोतरी हो चुकी है. वर्तमान में नर्मदा नदी का जलस्तर 121 मीटर से अधिक है. साथ ही सरदार सरोवर बांध के गेट बंद होने से बैकवाटर के चलते नर्मदा का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है.

4 माह घर में होना पढ़ता है कैद: राजघाट में खतरे का निशान 123.280 है. वहीं, जलस्तर 130 मीटर से अधिक होने पर राजघाट से सटे खेत जलमग्न होने लगते हैं. इसी तरह डेढ़ एकड़ क्षेत्रफल में बसे राजघाट कुकरा गांव के 17 परिवारों की सांसें भी तेज होती जा रही हैं. उन्हें डर है कि अगर इस बार प्रशासन ने नाव की व्यवस्था नहीं की तो बारिश के चार महीने उन्हें गांव में ही कैद होकर रहना पड़ेगा. फिलहाल नर्मदा का जलस्तर राजघाट में खतरे के निशान से 2 मीटर नीचे है. 127.300 मीटर जलस्तर होने पर पुराना पुल डूब जाता है, जबकि 130 मीटर की स्थिति में राजघाट का सड़क संपर्क बंद हो जाता है.

कई परिवार कर चुके हैं पलायन

विस्थापित लोगों को मुआवजे का इंतेजार: 2018 में विस्थापित लोग मुआवजे के चक्कर में कुकरा गांव में डटे हैं. साल 2018 में विस्थापित हुए कुकरा गांव के रहने वाले लोग मुआवजा नहीं मिलने से संघर्ष कर रहे हैं. साथ ही हर साल बारिश में उनके लिए जीवन मरण का सवाल होता है. प्रभावितों के अनुसार, सरकार ने उन्हें 300 km दूर ऐसी जमीनें दी थीं, जो पथरीली व बंजर भूमि थी ऐसे में हम वापस लौट आए.

17 परिवार के 67 लोग कुकरा में रह रहे:जिला मुख्यालय से महज किलोमीटर दूर नर्मदा नदी के किनारे पर कुकरा गांव जो सरदार सरोवर बांध से डूब प्रभावित होने के बावजूद गांव में अब भी 67 लोग रहते हैं. जबकि कई परिवार विस्थापित होकर दूसरी जगह चले गए. कुछ परिवार से बच्चे और महिलाएं बारिश के चलते चार माह के लिए बड़वानी चले जाते हैं. जो शहर का खर्च उठा पाने में सक्षम नहीं हैं, वे रिश्तेदारों के यहां डेरा डालते हैं. गांव की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि यहां सितंबर से जून तक कभी भी आया जाया जा सकता है. पहली नजर में यह जगह किसी पर्यटन स्थल जैसी दिखती है, लेकिन जैसे ही जुलाई का महीना शुरू होता है. यहां मुश्किलें बढ़ना शुरू हो जाती हैं. इसकी वजह यह है कि जैसे-जैसे नर्मदा का जलस्तर बढ़ता जाता है, बैक वाटर गांव के चारों तरफ फैल जाता है. अगर नर्मदा का जलस्तर 130 मीटर से अधिक पहुंच जाए तो गांव से चार किलोमीटर दूर तक पानी ही पानी होता है.

डूब प्रभावित गांव में डटे 67 लोग

अधिकारी बोले- विस्थापितों को मिल चुका है लाभ: नर्मदा घाटी परिजोजना से जुड़े अधिकारियों का मानना है कि ''जो लोग यहां रह रहे हैं उन्हें विस्थापन का पूरा लाभ मिल चुका है. ऐसे में अब उन्हें वहां नहीं रहना चाहिए. जबकि हकीकत में हर साल टापू पर रहने वाले डूब प्रभावित लोग शासन से अब भी उचित मुआवजे की मांग को लेकर पिछले 5 सालों से कुकरा में डटे हैं.''

130 मीटर जलस्तर होने पर सड़क पर चलती है नाव:सरदार सरोवर बांध के गेट बंद होने से बैकवाटर के चलते नर्मदा का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है. जलस्तर 130 मीटर से अधिक होने पर अब राजघाट से सटे खेत जलमग्न होने लगते हैं. इससे गर्मी का कपास सहित खरीफ सीजन की पकी फसलों को किसान नाव व बोट के माध्यम से बाहर निकालते हैं. इसमें कुछ किसानों की केला फसल जो कम पकी होती है, उसे भी मजबूरी में निकालनी पड़ती है. राजघाट टापू पर जाने-आने के लिए अब सड़क पर नाव चलना शुरू हो जाती है. इस तरह की परिस्थितियों का यह लगातार छटवां वर्ष है. वर्ष 2019 से सरदार सरोवर बांध को पूर्ण निर्धारित क्षमता 138.600 मीटर तक भरा जा रहा है. करीब 40 किसानों के खेतों में जाने का रास्ता अवरुद्ध हो जाता है. यह किसान अपनी उपज निकालने के लिए नाव व बोट का सहारा लेते हैं. वहीं, कुछ बड़े बच्चे डूब के समय यहीं रहकर नाव से स्कूल कॉलेज आते-जाते हैं.

विस्थापन का दर्द

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2019 में 2 युवकों की करंट से मौत:कुकरा गांव के टापू में तब्दील होने के बाद यहां रह रहे परिवारों तक पहुंचाने के लिए पांच युवक लकड़ी की नाव में बैठकर जा रहे थे. बैक वाटर पार्क करते समय ऊपर से गुजर रही बिजली की लाइन के तार हटाने की कोशिश में हादसे में चिमन सोलंकी (32) और संतोष दरबार (25) की मौत हो गई, तीन लोगों ने किसी तरह अपनी जान बचाई. नाव से जाते समय संतोष ने पानी से तीन फीट ऊपर बिजली के तार उठाने के लिए दोनों हाथ लगाए और करंट लगने से वहीं चिपक गया. पास बैठे चिमन की भी डोंगी में पानी होने से करंट से मौत हो गई. नाव में सवार तीन अन्य लोगों को भी करंट लगा, लेकिन जब तक नाव दूर होने से वे बच गए.

यह भी जानें:

  1. सरदार सरोवर बांध की पूर्ण निर्धारित क्षमता 138.600 मीटर
  2. वर्तमान में नर्मदा का जलस्तर- 121.300 मीटर
  3. राजघाट में खतरे का निशान- 123.280 मीटर
  4. राजघाट पुल का स्तर- 127.400 मीटर
  5. राजघाट टापू बनता है- 130 मीटर
Last Updated : Jul 10, 2023, 10:37 PM IST

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