बड़वानी। ठंड आते ही इलाहाबादी अमरूद का जादू लोगों के सिर चढ़कर बोल रहा है. इलाहाबादी अमरूद ने अपनी मिठास व रंग के कारण लोगों के बीच खास पहचान बनाई है. बड़वानी जिले में बेहतर बारिश और अच्छे मौसम के कारण इलाहाबादी अमरूद की बहार छाई हुई है.
जिले में नर्मदा के तटीय क्षेत्रों में उद्यानिकी फसलों में विशेष रूप से फलों की खेती बड़े पैमाने पर होती है. इसमें केला, अमरूद ,सीताफल ,पपीता ,चीकू आदि शामिल हैं. लेकिन इन दिनों अमरूद की फसल बहार पर है. अमरूद की विशेष किस्म 'इलाहाबादी अमरूद' की मांग अधिक है. इलाहाबादी अमरूद महाराष्ट्र, दिल्ली व गुजरात में भी खूब पसंद किया जाता है. अपने खास गुणों के चलते इसे इलाहाबादी सफेदा अमरूद भी कहा जाता है.
गरीबों का सेब कहा जाता है इलाहाबादी अमरूद
वैज्ञानिकों के अनुसंधान के बाद इलाहाबादी अमरूद को गरीबों के सेब की संज्ञा दी है. इस अमरूद में विटामिन सी पर्याप्त मात्रा में है. सेब के समकक्ष गुण होने के कारण इसे पुअर मेन्स एप्पल भी कहते हैं. ठंड में शरीर को विटामिन सी की आवश्यकता होती है इसलिए ये मौसमी फल के साथ स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक होता है.
फीका पड़ रहा देशी अमरूद
निमाड़ में अमरूद को जामफल भी कहा जाता है. यहां अमरूद आमतौर पर जामफल के रूप में प्रचलित है. बाजार में वैसे तो देशी अमरूद की भी खूब आवक है लेकिन इलाहाबादी अमरूद की बात ही अलग है. देशी अमरूद जहां 25 से 30 रुपए प्रति किलो बिक रहा है. वहीं इलाहाबादी अमरूद 50 से 60 रुपए किलो तक बिक रहा है. देशी अमरूद के मुकाबले काफी नरम और स्वादिष्ट होने के चलते लोग इसे बड़े चांव से खाते हैं. यदि कोई इस समय इलाहाबादी अमरूद के बगीचे के पास से गुजरे तो अमरूद की महक राहगीर का ध्यान अपनी और खींच लेती है.
किसानों को लाभ ही लाभ