बड़वानी। अनलॉक होते ही लगातार देशभर में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या में इजाफा देखने को मिल रहा है. ऐसे में कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए जिला प्रशासन मास्क नहीं पहनने वाले और सोशल डिस्टेंस मेंटेन नहीं करने वालों के खिलाफ कार्रवाई कर रहा है. इसी बीच जनप्रतिनिधियों द्वारा कार्यक्रम, सभाएं, धरना और प्रदर्शन जैसे काम किए जा रहे हैं, जहां नियमों की जमकर धज्जियां भी उड़ाई जा रही हैं. लेकिन प्रशासन उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है. तो सवाल ये उठता है कि अगर नियम-कानून सबके लिए बनाए गए हैं और प्रशासन आम जनता पर कार्रवाई कर रही है तो जनप्रतिनिधियों पर क्यों नहीं. आखिर प्रशासन का ऐसा दोहरा रवैया क्यों...
जिले में 25 जून तक 97 कोरोना पॉजिटिव मामले सामने आए थे, जिनमें सबसे ज्यादा सेंधवा इलाके से थे लेकिन करीब पिछले एक महीने में जब से अनलॉक हुआ है, तब से जिले में कोरोना पॉजिटिवों की संख्या दोगुनी हो गई है. वहीं कोरोना संक्रमितों के बढ़ते आंकड़ों ने जिला प्रशासन की नींद उड़ा दी हैं. ऐसे में हालात पर काबू पाने के लिए कलेक्टर और SP ने खुद मैदान संभाला और शहर में घूम-घूमकर दुकानदारों को सोशल डिस्टेंसिंग मेंनटेन करने और मास्क पहनने की सलाह देते हुए जुर्माना लगाया.
प्रशासन द्वारा जिलेभर में जुर्माना लगाने की कार्रवाई का लोग स्वागत भी कर रहे हैं. वहीं समूह के रूप में इकट्ठा होकर सोशल डिस्टेंसिंग की वकालत करने वाले जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई नहीं करने को लेकर आक्रोश भी है. क्योंकि कोरोना काल मे वैसे भी धंधे मंदे चल रहे हैं और आम नागरिक आर्थिक रूप से परेशान है. ऐसे में कार्रवाई के लिए भेदभाव करना लोगों में रोष पैदा कर रहा है.
क्या कोरोना वायरस भेदभाव कर संक्रमण फैला रहा है