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जैविक सीताफल की पैदावार से महिला किसान रच रहीं इतिहास, खेती के क्षेत्र में कई अवॉर्ड किए अपने नाम - महिला कृषक ललिता मुकाती

बड़वानी जिले के अंजड़ तहसील के बोरलाय गांव की महिला कृषक ललिता मुकाती ने सीताफल की जैविक खेती करके प्रदेश सहित राष्ट्रीय स्तर के कई अवॉर्ड अपने नाम किए हैं.

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जैविक सीताफल की पैदावार से महिला किसान रच रहीं इतिहास

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Published : Oct 20, 2020, 12:55 PM IST

बड़वानी। खेती किसानी के मामले में अब निमाड़ की महिलाएं भी पुरुष किसानों से कंधे से कंधा मिलाकर खेती का कार्य कर रही हैं. इतना ही नहीं खेती किसानी को लेकर प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार भी जीत रही हैं. बड़वानी जिले की पहली महिला किसान जिसने जैविक खेती के मामले में राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई है और अपने परिवार की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ की है, साथ ही अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा का कार्य भी कर रही हैं.

जैविक सीताफल की पैदावार से महिला किसान रच रहीं इतिहास

कभी जंगलों में कंदमूल के रूप में यहां-वहां पाए जाने वाले सीताफल की खेती कर किसानों ने उसे अपनी आय का जरिया बना लिया है और ये कार्य महिला किसान करें और राष्ट्रीय स्तर पर सीताफल की पैदावार को लेकर कई पुरस्कार पा ले तो चौंकना स्वभाविक है. ग्रामीण इलाकों में महिलाओं ने सफलता की कई इबारत लिखी हैं. ऐसे ही सफलता के शिखर पर बड़वानी जिले के अंजड़ तहसील के बोरलाय गांव की महिला कृषक ललिता मुकाती हैं. जिसने देश की एकमात्र उन्नत महिला कृषक केटेगरी में हलधर जैविक किसान का साल 2019 में अवार्ड अपने नाम किया है.

105 एकड़ खेती में पति को अकेला काम करते देख ललीता बाई ने काम में हाथ बटाना शुरू कर दिया. रासायनिक उर्वरकों के दुष्प्रभाव से चिंतित किसान दम्पत्ति ने 45 एकड़ कृषि भूमि का सीताफल की जैविक खेती के लिए पंजीकरण करवाया था. धीरे-धीरे जैविक खेती से फायदा हुआ तो पूरे 105 एकड़ में विभिन्न प्रकार की बागवानी फसलें और कपास व गेंहू की फसल लेना शुरू कर दिया. अब इनके फलों की मांग प्रदेश सहित गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान में भी है. अब महिला किसान अपने सीताफल को विदेश एक्सपोर्ट करने की तैयारी में जुटी हैं.

ललिता बाई मजदूरों की कमी के चलते खुद खेती में हाथ बटाती हैं, वो खुद ट्रैक्टर चलाकर खेती के जरूरी कार्य निपटाने के अलावा विभिन्न तरीकों से जैविक खाद भी खुद बनाती हैं जो कि फूल, पशुओं द्वारा खराब की गई पत्तियों, अनाज, दलहन, तिलहन और गोमूत्र आदि से तैयार होती है. जिससे फलों वाली बागवानी व मसाला फसलें भी जैविक पद्धति से तैयार करती हैं. ललिता बाई को केंद्र तथा राज्य सरकार द्वारा कई सम्मानों से नवाजा जा चुका है. महिला किसान ललिता बाई की पहचान बड़वानी के छोटे ग्रामीण अंचल से निकलकर राष्ट्रीय स्तर तक है. वहीं क्षेत्र की महिलाएं समूह के रूप में उसे जैविक खेती के गुर सीख रही हैं.

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