बालाघाट।कोरोना महामारी में जरूरतमंदों की मदद के लिए सरकार भले की मुफ्त राशन देने की बात कह रही हो. लेकिन बालाघाट के आदिवासी बाहुल्य ग्रामीण अंचलों में पिछले 9 महीने से राशन नहीं मिला है. यहां रहने वाले ग्रामीण इतने मजबूर हैं कि वह अब दलिया खाकर अपनी जिंदगी काट रहे हैं. कोरोना महामारी में उनकी जिंदगी किसी जंग से कम नहीं रह गई है.
9 महीने से नहीं मिला राशन
यह दयनीय स्थिति बालाघाट जिले के ग्राम पंचायत शैला के ग्रामीणों की है. यहां पंचायत अंतर्गत आने वाले ग्राम शैला, खापा, घाना, मालखेड़ी, मोहगांव मेंं करीब 450 से ज्यादा राशन कार्ड धारक हैं. जिन्हें पिछले 9 महीनों से राशन नहीं मिल रहा है. जबकि सुदूर अंचलों में निवासरत ये लोग शासन की तरफ से दिए जाने वाले राशन के भरोसे ही अपना जीवन यापन करते हैं. जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिन भोले-भाले आदिवासियों की 9 महीने से स्थिति क्या होगी.
9 महीने से नहीं मिला राशन जिला पंचायत सदस्य ने ली सुध
दरअसल क्षेत्र के लोगों के बीच उनका हालचाल जानने जिला पंचायत सदस्य दलसिंह पन्द्रे पहुंचे थे. जिस दौरान इस पूरी स्थिति के बारे में जानकारी लगी. ग्रमीणों ने अपनी इस समस्या से जिला पंचायत सदस्य को रूबरू कराया. ग्रामीणों ने बताया कि सोसाइटी से राशन नहीं मिलने के कारण वह किसी तरह दलिया और कंदमूल खाकर जीवन यापन कर रहे हैं. जानकारी के बाद समस्याओं को गंभीरता से लेते हुए जिला पंचायत सदस्य ने तत्काल तहसीलदार, SDM सहित कलेक्टर को फोन पर स्थिति के बारे में सूचना दी. जहां उन्हें मदद का आश्वासन मिला है.
ये कैसी सरकारी योजना! 9 माह से ग्रामीणों को नहीं मिल रहा राशन
तहसीलदार बोले-जल्द मिलेगी राशन
जिला पंचायत सदस्य दलसिंह पन्द्रे ने बताया कि न केवल ग्राम पंचायत शैला बल्कि ग्राम पंचायत चालिसबोड़ी का भी यही आलम है. यहां भी पिछले कई महीनों से राशन नहीं बांटा गया है. जिसके बाद जिला पंचायत सदस्य ने कहा कि भोले-भाले आदिवासियों के साथ इस तरह का बर्ताव बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. इसके अलावा जिला पंचायत सदस्य ने सभी को राशन शीघ्र प्रदान करने की मांग के साथ जिम्मेदार व्यक्तियों पर कार्रवाई की मांग की है. हालांकि इस पूरे मामले पर ग्राम पंचायत शैला के सचिव के खिलाफ लोगों का आक्रोश भी देखने को मिला. जहां लोगों ने बताया कि कोरोना काल के समय मे शासन द्वारा प्रदाय की जाने वाली सहायता और जानकारियां उन तक नहीं पहुंचती हैं. न ही संक्रमण से बचाव हेतु किसी प्रकार का सहयोग प्रदान किया जा रहा है. मामले पर तहसीलदार नितिन चौधरी ने बताया कि इस संबंध में कनिष्ठ खाद्य आपूर्ति अधिकारी से चर्चा की गई है. ग्राम पंचायत शैला और चालिसबोड़ी ऐसी दो पंचायत हैं, जिनमें कुछ त्रुटि के कारण नाम कट गए हैं. जल्दी ही समस्या का निराकरण कर लिया जाएगा और मिलना शुरू हो जाएगा