बालाघाट। असत्य पर सत्य की जीत का पर्व विजयादशमी नगर में धूम-धाम से मनाने की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं. जाएगा. उत्कृष्ट स्कूल मैदान में रावण के साथ मेघनाथ व कुंभकर्ण के पुतलों का दहन किया भी जाएगा. बालाघाट का दशहरा एक तरह का अनोखा दशहरा है, जो कि हरियाणा के पानीपत की तरह मनाया जाता हैं.
पानीपत की तरह बालाघाट का अनोखा दशहरा, जानिए क्या है खास - बालाघाट का दशहरा
बालाघाट में अनोखा दशहरा मनाया जाता हैं जो कि हरियाणा के पानीपत के दशहरे की तरह होता है. इसमें हनुमान बनने वाला पात्र अपने सर पर 40 किलो वजनी मुकुट पहनता है.
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नगर में महावीर सेवा दल समिति के नेतृत्व में पिछले 55 सालों से दशहरा का उत्सव मनाया जा रहा. इस बार 56वां दशहरा होगा. जिसकी खासियत है कि रामजुलूस नया राम मंदिर से निकलता हैं और वह शहर भ्रमण करते हुए शाम में पुतला दहन स्थान उत्कृष्ट स्कूल मैदान पहुंचता है. जहां पर राम-लक्ष्मण अपने धनुष से पुतला को आग के हवाले करते हैं. रावण दहन के बाद रंग-बिरंगी आतिशबाजी की जाती है.
बालाघाट का दशहरा इसलिए है अनोखा
बालाघाट का दशहरा अनोखा इसलिए हैं कि, यहां दशहरा आयोजन में हनुमानजी बनने वाले पात्र 40 किलो वजन वाला मुकुट का धारण करता हैं और लगभग 2 किमी लंबा सफर पैदल शहर में निकले वाले जुलूस में चलता है. साथ ही हनुमान बनने वाले को 40 दिन पहले से ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करते हुए हनुमान जी की विशेष आराधना करनी होती हैं. यह आराधना राम मंदिर में की जाती है. विजयादशमी के अवसर पर निकले वाले इस भव्य मुकुटधारी हनुमानजी के साथ राम जुलूस में हजारों लोगों शामिल रहते है.