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उपेक्षा के शिकार राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र 'बैगा आदिवासी', कई महीनों से नहीं मिल रही पेंशन

तत्कालीन शिवराज सरकार में बैगा जनजाति के परिवार के मुखिया को हर महीने हजार-हजार रुपए पेंशन देना शुरू किया गया था. लेकिन ये मासिक पेंशन कुछ ही महीने मिल सकी.अब इन परिवारों ने कलेक्टर दीपक आर्य से मदद की गुहार लगाई है. जिसके बाद कलेक्टर ने पेंशन दिलाए जाने का आश्वासन दिया है.

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Published : Mar 27, 2019, 11:04 AM IST

बैगा आदिवासियों को नहीं मिल रही पेंशन

बालाघाट। सरकार बदल गई, मंत्री बदल गए, लेकिन नहीं बदली तो राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहे जाने वाले बैगा आदिवासियों की हालत. हालत ये है कि करीब 5 महीनों से कई परिवार सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटते-काटते थक चुके हैं, लेकिन उनकी समस्या हल नहीं हुई. अब उन्होंने कलेक्टर से मदद की गुहार लगाई है.

बैगा आदिवासियों को नहीं मिल रही पेंशन


बता दें कि तत्कालीन शिवराज सरकार में बैगा जनजाति के परिवार के मुखिया को हर महीने हजार-हजार रुपए पेंशन देना शुरू किया गया था. लेकिन ये मासिक पेंशन कुछ ही महीने मिल सकी. अब प्रदेश में सरकार बदल चुकी है और सत्ता कांग्रेस के हाथ में है. बैगा आदिवासी परिवारों का कहना है कि करीब 4 महीनों से उन्हें पेंशन नहीं मिल रही है, जिससे उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. अब इन परिवारों ने कलेक्टर दीपक आर्य से मदद की गुहार लगाई है. जिसके बाद कलेक्टर ने पेंशन दिलाए जाने का आश्वासन दिया है.


कलेक्टर दीपक आर्य ने उन्हें आश्वासन दिया है कि वह खुद इस मामले की व्यक्तिगत रूप से जांच करेंगे. दूरस्थ वनांचल में रहने वाले इन बैगाओं के मामले को लेकर कलेक्टर ने आदिवासी विभाग के सहायक आयुक्त को जांच के निर्देश भी दिए हैं.

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