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झाम सिंह धुर्वे केस: मजिस्ट्रियल रिपोर्ट पर उठे सवाल

छत्तीसगढ़ के झलमल के रहने वाले आदिवासी झाम सिंह धुर्वे की गोली लगने से मौत हो गई थी. इस मामले में मृतक झाम सिंह धुर्वे मामले की मजिस्ट्रियल रिपोर्ट आ गई है लेकिन मृतक के परिजनों ने इस रिपोर्ट पर सवाल उठाए हैं.

Questions raised on the magisterial report
मजिस्ट्रियल रिपोर्ट पर उठे सवाल

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Published : Feb 18, 2021, 4:45 PM IST

बालाघाट। जिले के गढ़ी थाना क्षेत्र में विगत 06 सितम्बर को बसपहरा के जंगल में पुलिस और नक्सलियों के बीच कथित मुठभेड़ हुई थी. छत्तीसगढ़ राज्य के बालसमन्द थाना क्षेत्र के झलमल के रहने वाले आदिवासी झाम सिंह धुर्वे की गोली लगने से मौत हो गई थी. पहले पुलिस ने नक्सली मुठभेड़ में मारे जाने की घोषणा की थी लेकिन बाद में अपनी गलती मानकर झामसिंह को साधारण ग्रामीण बताया था. आदिवासी समाज संगठनों ने इसका पुरजोर विरोध करते हुए मामले की सीबीआई जांच की मांग की थी. लेकिन जिला प्रशासन ने आदिवासियों की मांग को दरकिनार करते हुए मजिस्ट्रियल जांच करवाने का निर्णय लेकर इसकी जिम्मेदारी बैहर एडीएम गोविंद सिंह मरकाम को सौंप दी थी.

मजिस्ट्रियल रिपोर्ट पर उठे सवाल

पुलिस विभाग ने अपनी साख बचाने के लिए पेश की झूठी रिपोर्ट

तकरीबन चार महीने बाद आई जांच रिपोर्ट में बताया गया कि उस दिन पुलिस और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ हुई थी. इस बीच वहां मछली मारने आये झामसिंह को गोली लगने से उसकी मौत हो गई थी, जबकि उसके भाई नैनसिंह की कनपटी के पास से गोली निकली थी और वह बच गया था. आदिवासी सर्व समाज के संयोजक भुवन सिंह कोर्राम की अगुवाई में बैठक आयोजित की गई, जिसमें निर्णय लिया गया कि पुलिस विभाग ने अपनी साख बचाने झूठी रिपोर्ट पेश की है. जबकि झामसिंह के भाई नैनसिंह के बयान और घटनास्थल पर मुठभेड़ के कोई सबूत न मिलने के बावजूद ऐसी झूठी रिपोर्ट दी गई. जिसका हम विरोध करते हैं और मामले को हाइकोर्ट लेकर जाएंगे.

मजिस्ट्रियल रिपोर्ट पर उठे सवाल

बिना ठोस वजह रेफर करने पर नपेंगे 'डॉक्टर'

वहीं मृतक झामसिंह के बेटे खिलेंद्र धुर्वे का कहना है कि जांच रिपोर्ट को हमने पढ़ा है. जिससे साफ लगता है कि अपने विभाग को बचाने इस तरह की रिपोर्ट प्रस्तुत की गई है. मुठभेड़ के नाम पर 40 से 45 राउंड गोली चलाने की बात लिखी गई है जबकि वहां सिर्फ दो गोलियां चली थी. हमारे बयानों को दरकिनार कर दिया गया. हमारी मांग है कि हमें न्याय मिले. पिताजी के हत्यारों को कड़ी कार्रवाई हो. हमारे भरण पोषण के लिए एक करोड़ का मुआवजा तथा सरकारी नौकरी दी जाए.

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