बालाघाट। कृषि प्रधान देश में हर किसान हल चलाकर अपना जीवन यापन करता है, किसान के काम में उसका सबसे ज्यादा साथ देता है तो वह है पशुधन बैल. वहीं जिले में पोला पर्व कृषि कार्य समाप्त होने के बाद किसान बैलों का आभार व्यक्त करते हैं, इस दिन बैल जोड़ियों को सजाया जाता है और उनकी पूजा अर्चना कर पैर पड़े जाते हैं. इस दिन किसानों के अलावा अन्य लोग भी बैलों की पूजा करते हैं और उन्हें स्वादिष्ट भोजन करवाते हैं.
वहीं हर साल की तरह इस साल भी नगर के जयस्तंभ चौर पर आयोजित होने वाले पोला पर्व में कोरोना का ग्रहण लगने से स्थगित कर दिया गया. जिसके कारण नगर में रौनक देखने को नहीं मिली और बाजार में भी सन्नाटा पसरा रहा. विगत कई सालों से चली आ रही परपंरा कोरोना काल के कारण थम गई.
हरसाल नगर के वार्ड नं 13 स्थित हीरालाल चौधरी जी के निज निवास से गाजे -बाजे के साथ पुजा की थाल निकाली जाती थी, जो धुमधाम के साथ जयस्तंभ चौक पहुंचती थी. जहां बैल जोडियों की पुजा -अर्चना कर बैल जोडियों को दौड़ाया जाता था जिसके बाद घर- घर बैल जोड़ियों की पुजा-अर्चना कर स्वादिष्ट भोजन खिलवाया जाता था. लेकिन इस साल कोरोना संक्रमण को देखते हुए कार्यक्रम को पूरी तरह से स्थगित कर दिया गया.
वहीं मध्यप्रदेश राज्य खनिज विकास निगम के अध्यक्ष और क्षेत्रीय विधायक प्रदीप जायसवाल ने परंपरा अनुसार इस साल भी हीरालाल चौधरी के बाड़े में पहुंचकर बैल जोड़ियों की पुजा -अर्चना की. साथ ही बैल जोड़ियों के पैर भी छुए और वहां उपस्थित किसानों को तिलक लगाकर पोला पर्व की बधाई दी.
विधायक प्रदीप जायसवाल ने कहा कि इस बार कोरोना संक्रमण के कारण संक्षिप्त में ही यहां पर्व मनाया गया जहां आदरणीय हीरालाल चौधरी जी के बाडे मे 5 बैल जोड़ियों की पुजा -अर्चना की गई. साथ ही यहां कृषि समाप्त होने के बाद पशुधन की पुजा -अर्चना की जाती है, इस बार ईश्वर की दया से बारिश ठीक-ठीक होने के कारण धान रोपण का कार्य भी संपन्न हूआ और किसानों भाईयों ने पशुधन का आभार व्यक्त किया. बता दें पोला पर्व के बाद बैल जोड़ियों पर कृषि कार्य का भार कम हो जाता है. वहीं इस दौरान ग्राम पटेल हीरालाल चौधरी सहित अनेकों किसान अपने पशुधन के साथ उपस्थित रहे.