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क्वॉरेंटाइन सेंटरों में लोग हो रहे परेशान, खाने-पीने की नही है व्यवस्था

रोजाना सैकडों मजदूर पैदल ही बलाघाट पहुंच रहे हैं. ऐसे में रजेगांव चौकी पर जो मजदूरों के लिए क्वॉरेंटाइन सेंटर बनाया है गया वहां किसी भी नियम का पालन नही किया जा रहा है.

बालाघाट
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Published : Apr 27, 2020, 4:12 PM IST

Updated : Apr 27, 2020, 5:09 PM IST

बालाघाट। जहां एक ओर पूरा देश इस समय कोरोना से जंग लड़ रहा है और निरन्तर कोरोना संक्रमण के मरीज देश मे तेजी से बढ़ रहे हैं उसे रोकने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग ही उपाय है. लेकिन बालाघाट मे यह देखा जा रहा है कि लोगों से मास्क लगाकर रखने और सोशल डिस्टेंस बनाकर रहने की बार-बार अपील करने के बाद भी इसका पालन नही हो रहा है गौर करने वाली बात है कि जिम्मेदार अधिकारी ही क्वॉरेंटाइन सेंटर में रहकर नियमों की धज्जियां उड़वा रहे है.

क्वॉरेंटाइन सेंटरों में लोग हो रहे परेशान

बालाघाट जिले में दूसरे प्रदेशों व जिलों से लगातार मजदूरों की आवाजाही जारी है अभी तक लगभग 50 हजार से ज्यादा मजदूर दूसरे प्रदेशों से अपने गृह नगर लौट चुके हैं. उसके बाद रोजाना ही सैकडों मजदूर पैदल ही बलाघाट पहुंच रहे हैं.

खाने-पीने की नही है व्यवस्था

गौरतलब है कि रजेगांव चौकी जो मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र की सीमावर्ती चौकी है जहां से लाखों लोग अपनी रोजी रोटी कमाने के लिए गोंदिया रेल्वे स्टेशन से अन्य राज्यों में आते जाते रहे हैं लेकिन 25 मार्च से हुए लॉकडाउन के दौरान सभी मजदूर अलग अलग राज्यों में अपने परिवार के साथ फंसे हुए हैं.

क्वॉरेंटाइन सेंटरों की हकीकत

ऐसे में वे मजदूर अपने छोटे छोटे बच्चों के साथ पैदल ही 600 किलोमीटर की दूरी तय करते हुए रजेगांव चौकी पहुंचे, जिन्हें मध्यप्रदेश सरकार के प्रशानिक अधिकारियों द्वारा बनाये गए क्वॉरेंटाइन सेंटर में रखा है. जब हमारी टीम ऐसे क्वॉरेंटाइन सेंटरों की हकीकत जानने पहुंची तो होश उड़ गए.

नहीं हो रहा सोशल डिस्टेंसिंग का पालन

नही है कोई व्यवस्था

वहां पर प्रशासन के द्वारा ना खाने की व्यवस्था की गई है न पीने के पानी की, न नहाने की ना शौचालय की, यहां तक कि एक ही छोटे से 10 बाई 10 के कमरे में क्षमता से अधिक 21 लोगों को रखा गया था. यहां तक की सेंटर में लोगों को न तो मास्क दिया जा रहा है और न ही सोशल डिस्टेंस का पालन करवाया जा रहा है. यहां तक की उनकी सुनने कोई अधिकारी भी नहीं है.

बसों में एक साथ बैठे मजदूर

मजदूरों को बिना जांच के भेजा जा रहा घर

यह भी देखा जा रहा है कि इस सेंटर में कम से कम 4 दिन तक मजदूरों को रखकर नजर रखना है कि उनमें कोरोना के सिम्टम्स तो नहीं हैं, लेकिन यह न करके बसों में बिना सोशल डिस्टेंस का पालन करते हुए उन्हें घर भेजा जा रहा है और घर जाने के पहले जांच तक नहीं की जा रही है.

ऐसे में किसी एक व्यक्ति के संक्रमित होने से हालात कितने खराब होंगे ये आप अंदाजा लगा सकते हैं और आखिर इसके लिए जिम्मेदार कौन है ? सवाल अभी भी बना हुआ है. जब इस मामले में किरनापुर तहसीलदार से पूछा गया तो उनका कहना है कि एक दिन में ज्यादा मजदूर आ गये थे इस कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई है उनकी व्यवस्था की जा रही है.

Last Updated : Apr 27, 2020, 5:09 PM IST

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