बालाघाट। जिले के परसवाड़ा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में इलाज कराने पहुंचने वाले आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र के मरीजों को अंधेरे में रहने को मजबूर होना पड़ रहा है. शासन द्वारा आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले 57 ग्राम पंचायतों के 163 ग्रामों के ग्रामीण अपना इलाज कराने के लिए यहां के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पहुंचते हैं परंतु बिजली गुल हो जाने के पश्चात यहां पर रोशनी की व्यवस्था नहीं है. गर्मी से बचने के लिए किसी तरह की व्यवस्था नहीं की गई है. पहले से ही यहां पर चिकित्सकों और स्टाफ की भारी कमी है. अब रोशनी भी नहीं है, जिससे कि यहां पर पहुंचने वाले ग्रामीण अब यहां इलाज के लिए आने से भी कतराने लगे हैं.
मोमबत्ती के उजाले में मरीजों का इलाज
अस्पताल में अव्यवस्था का आलम
आपको बता दें कि परसवाड़ा में एक सड़क दुर्घटना के चलते करीब शाम 4:00 बजे घायल अवस्था में एक युवक को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र परसवाड़ा लाया गया, जहां उसे प्राथमिक उपचार दिया गया. हल्की बारिश होने के चलते बिजली चली गई. करीब शाम 7:00 बजे ग्रामीण घायल युवक को देखने पहुंचे तो देखा कि यहां पर इलाज कराने पहुंचे मरीज अंधेरे में ही समय काटने को मजबूर हो रहे हैं. यहां रोशनी और बिजली की कोई व्यवस्था ही नहीं है. अव्यवस्था को लेकर घायल युवक को इलाज के लिए लेकर आने वाले एक ग्रामीण मुनेंद्र वंशपाल ने शिकायत करते हुए बताया कि अपने एक मित्र के इलाज के लिए लगभग 4:00 बजे अस्पताल पहुंचे थे. परंतु रात के 8:00 बजते बजते भी यहां न ही रोशनी की कोई व्यवस्था है और न ही कोई डॉक्टर है. उन्होंने आगे बताया कि ऑक्सीजन सिलेंडर भी इधर उधर पड़े हैं. जबकि अभी 1 महीने पहले ही सब कुछ नया लगाया गया था. वहीं यहां के कर्मचारी से जब शिकायत की तो उन्होंने बताया कि यहां का सोलर पैनल कई दिनों से बंद है. यहां पर जनरेटर भी नहीं है. जिसके चलते उन्हें मोमबत्ती जलाकर इलाज करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. ऐसी हालात को देखकर ग्रामीणों ने इलाज के लिए लाए घायल युवक को घर ले जाना ही उचित समझा.
मोमबत्ती के सहारे अस्पताल
इलाज के लिए पहुंचे घायल युवक को देखने पहुंचे ग्रामीणों ने युवक को अंधेरे में देखकर एक अस्पताल के कर्मचारी से ही शिकायत की. जिसके पश्चात अस्पताल के ही एक कर्मचारी ने युवक के पास एक मोमबत्ती लाकर जला दी, तब जाकर उजाला हो पाया. ऐसे में यह सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि गंभीर अवस्था में यहां पहुंचने वाले आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र के ग्रामीणों को यहां किस तरह का इलाज मिल पाता होगा.
परेशान होती मिलीं मेटरनिटी वार्ड की महिलाएं
यहां मेटरनिटी वार्ड में एक महिला ने बताया कि हमने यहां आज 7:00 बजे डिलिवरी के लिए घर की एक महिला को भर्ती कराया है. सुबह बिजली थी परंतु 4:00 से बिजली जाने के पश्चात यहां रोशनी की कोई भी व्यवस्था नहीं है. हम ऐसे ही असुविधा के कारण परेशान हो रहे हैं. गर्मी अलग लग रही है, यहां पर जच्चा और बच्चा दोनों ही परेशान हैं. एक और महिला ने बताया कि 2 दिनों से वह इलाज के लिए यहां पर भर्ती हैं लेकिन बिजली नहीं है इसलिए गर्मी तो गर्मी अंधेरे में उनको परेशान होना पड़ रहा है.
बंद पड़े हैं सोलर पैनल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र परसवाड़ा में इलाज कराने पहुंचने वाले बाशिंदों को यहां बिजली जाने के पश्चात अंधेरे में ही समय गुजारने को मजबूर होना पड़ रहा है. यहां पर सोलर पैनल तो लगाए गए हैं परंतु अव्यवस्थाओं का आलम यह है कि वे भी कई दिनों से बंद पड़े हैं और अब तक नहीं सुधारा जा सका है. जब कभी ग्रामीण यहां इलाज के लिए पहुंचते हैं तो उन्हें या तो अंधेरे में या मोमबत्ती के सहारे इलाज कराने को मजबूर होना पड़ता है. जिसकी सुध लेने वाला भी कोई नहीं है.