बालाघाट।भारत सहित पूरे विश्व में महामारी का रूप ले चुका कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए पूरे देश में लॉकडाउन घोषित है, इस दौरान सभी व्यापारिक प्रतिष्ठान, आवागमन के साधन बंद हैं. लोग जहां हैं, वहीं पर ठहर गए हैं. लॉकडाउन का खासा असर बालाघाट में भी दिखाई दे रहा है. प्रशासन द्वारा सख्ती के साथ लॉकडाउन का पालन करवाया जा रहा है. इस दौरान लोग घरों में कैद हैं.
लॉकडाउन के कारण दाने-दाने को मोहताज नक्सली लॉकडाउन का गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों पर खासा असर देखा जा रहा है. गौर करने वाली बात ये है कि इसका असर नक्सलियों पर भी पड़ रहा है. नक्सलियों को जंगल में रसद न मिलने से खाने-पीने को मोहताज होना पड़ रहा है. अब हालात ये बन गए हैं कि ग्रामीणों को डरा-धमका कर राशन की मांग कर रहे हैं, लेकिन ये देखा जा रहा है कि ग्रामीणों के पास भी केवल उनके परिवार के खाने लायक ही राशन हैं तो नक्सलियों को देने से गुरेज कर रहे हैं.
पुलिस नक्सलियों के हर मूवमेंट पर नजर रखते हुए सर्चिंग तेज कर दी है, अब ये वन विभाग के चौकीदारों से राशन देने के लिए दबाव बना रहे हैं. नहीं मिलने पर उनके द्वारा अपने लिए बनाया हुआ खाना ही खाकर अपना पेट भर रहे हैं. ये भी देखा जा रहा है कि राशन के लिए नक्सली अपना लगातार ठिकाना बदल रहे हैं. कभी लांजी क्षेत्र में तो कभी दक्षिण बैहर के क्षेत्र गढ़ी तो कभी मंडला के मोती नाला क्षेत्र या चिल्पी क्षेत्र में उनका मूवमेंट देखा जा रहा है. कभी कान्हा नेशनल पार्क के एरिया में भी भ्रमण कर रहे हैं और वहां के चौकीदारों पर भी रसद देने के लिए दबाव बना रहे हैं.
एसपी अभिषेक तिवारी का कहना है कि जिले के शहरी अंचलों के साथ-साथ ग्रामीण अंचलों में भी लॉकडाउन का सख्ती से पालन करवाया जा रहा है, जिसके कारण लोग घरों में ही रहना मुनासिब समझ रहे हैं. इस दौरान ये देखा जा रहा है कि ग्रामीण किसी बाहरी व्यक्ति को गांव में प्रवेश करने नहीं दे रहे हैं और बाहर निकलने से भी मना कर रहे हैं. ऐसे हालात में नक्सलियों को जहां से राशन मुहैया होता था, वहां से भी राशन नहीं मिल पा रहा है. यहां तक की दुकानें बंद होने से वह खरीद भी नहीं पा रहे हैं. परेशान होकर वे बार-बार अपना लोकेशन बदल रहे हैं. हालांकि पुलिस की नजर नक्सलियों के हर मूवमेंट पर है. क्षेत्र में लगातार सर्चिंग किया जा रहा है. नक्सलियों के किसी मंसूबों को पूरा नहीं होने दिया जाएगा.