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MP Seat Scan Waraseoni: महाकौशल की ऐसी सीट जहां BJP एक बार जीती चुनाव, वारासिवनी में अब कांग्रेस के लिए भी चुनौतियां कम नहीं - वारासिवनी विधानसभा क्षेत्र

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव की तारीख का ऐलान हो चुका है. 17 नवंबर को एक चरण में एमपी में मतदान होगा. वहीं चुनावी साल में ईटीवी भारत आपको प्रदेश की 230 सीटों का विश्लेषण बता रहा है. इसी क्रम में आज हम आपको बालाघाट जिले की वारासिवनी विधानसभा के बारे में बताएंगे. वैसे तो इस सीट पर कांग्रेस का दबदबा देखने को मिला है, लेकिन साल 2018 में समीकरण कुछ और ही बने थे. देखना होगा इस चुनाव में किसे जीत और किसे हार मिलती है.

MP Seat Scan Waraseoni
एमपी सीट स्कैन वारासिवनी

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Oct 25, 2023, 4:02 PM IST

Updated : Nov 14, 2023, 10:15 PM IST

बालाघाट। महाकौशल क्षेत्र के बालाघाट जिले की वारासिवनी विधानसभा सीट पर दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल सकता है. इस बार इस सीट पर सबकी नजर भी रहेगी. पिछले चुनाव पर भी यह सीट काफी सुर्खियों में रही थी. वजह थी इस सीट पर साल 2018 के विधानसभा चुनाव पर कांग्रेस ने जहां मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के साले को टिकट दिया था, तो वहीं इस बात से नाराज होकर प्रदीप जायसवाल निर्दलीय ही चुनाव लड़ गए थे और विधायक बन गए थे. अब इन्होंने अभी हाल ही में भारतीय जनता पार्टी ज्वाइन कर ली है. यहां से बसपा ने अजाब शास्त्री, बीजेपी को प्रदीप अमृतलाल जयसवाल, कांग्रेस को विवेक विक्की पटेल को टिकट दिया है.

प्रदीप जायसवाल हैं वर्तमान विधायक: महाकौशल क्षेत्र के बालाघाट जिले के वारासिवनी विधानसभा सीट से वर्तमान में प्रदीप जायसवाल विधायक हैं. प्रदीप जायसवाल साल 2018 के विधानसभा चुनाव में निर्दलीय ही लड़े थे. साल 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साले संजय मसानी को टिकट दी थी. जिससे नाराज होकर प्रदीप जायसवाल ने कांग्रेस से बगावत कर दी थी और निर्दलीय ही चुनाव में उतर गए थे. प्रदेश में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार बनी और फिर प्रदीप जायसवाल ने कांग्रेस को समर्थन दिया, और खनिज मंत्री भी बने, लेकिन महज 15 महीने में ही जब कांग्रेस सरकार गिर गई तो प्रदीप जायसवाल ने बीजेपी की शिवराज सरकार बनते ही उन्हें समर्थन दे दिया. खनिज आयोग के अध्यक्ष बन गए और अब अभी हाल ही में प्रदीप जायसवाल ने बीजेपी ज्वाइन कर ली है.

वारासिवनी सीट के मतदाता

जानिये सीट का इतिहास:बालाघाट जिले के वारासिवनी सीट के इतिहास की बात करें तो यहां पर प्रदीप जायसवाल का दबदबा देखने को मिलता है. 1998 से 2008 तक जितने भी चुनाव हुए, 1998, 2003 और 2008 तीन बार से लगातार प्रदीप जायसवाल यहां से विधायक रहे. तीनों ही बार प्रदीप जायसवाल कांग्रेस से विधायक रहे, लेकिन साल 2013 के चुनाव में प्रदीप जायसवाल को बड़ा झटका लगा था. इस चुनाव में बीजेपी के प्रत्याशी डॉक्टर योगेंद्र निर्मल ने शानदार जीत दर्ज की थी और यहां से इतिहास ही बदल दिया. पहली बार भाजपा के लिए जीत दर्ज करने वाले विधायक भी बन गए. वारासिवनी विधानसभा सीट के इतिहास पर नजर डालें...

वारासिवनी में सात बार जीती कांग्रेस: कांग्रेस ने कई मर्तबा इस सीट पर जीत हासिल की है, लेकिन भारतीय जनता पार्टी को साल 2013 में ही जीत मिली थी, जो की एकमात्र जीत है. इस सीट पर हालांकि 2018 का चुनाव काफी दिलचस्प रहा था. इस चुनाव में कांग्रेस ने प्रदीप जायसवाल का टिकट काट दिया था और संजय मसानी जो कि शिवराज सिंह चौहान के साले हैं, उन्हें टिकट दिया था. इसे लेकर यह सीट भी सुर्खियों में आ गई थी, लेकिन प्रदीप जायसवाल नाराज हो गए थे और निर्दलीय ही उन्होंने चुनाव लड़ा था और विधायक बन गए थे. जिसके बाद जब कमलनाथ की सरकार आई, तो उन्होंने कमलनाथ को समर्थन दिया. जब सरकार गिरी तो फिर उन्होंने भारतीय जनता पार्टी को समर्थन दिया. अब उन्होंने बीजेपी ज्वाइन भी कर ली है. कुल मिलाकर वारासिवनी विधानसभा सीट पर कांग्रेस ने 1957 से लेकर 2008 के बीच में सात बार जीत हासिल की. जबकि जनता पार्टी और जनता दल को भी जीत मिली. निर्दलीय उम्मीदवार भी सीट से जीते, लेकिन बीजेपी एक बार ही जीत सकी है.

वारासिवनी सीट का रिपोर्ट कार्ड

कुछ और सीट स्कैन यहां पढ़ें...

कांग्रेस ने इन्हें दिया टिकट: वारासिवनी विधानसभा सीट से कांग्रेस ने भी अपने प्रत्याशी का ऐलान कर दिया है. कांग्रेस ने इस बार पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष विक्की पटेल को यहां से प्रत्याशी बनाया है. जिसके बाद से उनके समर्थकों में भी काशी खुशी का माहौल देखने को मिला था और उनके समर्थकों ने खुल्लम-खुल्ला खुशी का इजहार भी किया था. हालांकि बीजेपी की ओर से कहा जा रहा है कि प्रदीप जायसवाल के बीजेपी ज्वाइन कर लेने के बाद उन्हें ही टिकट देने के कयास लगाए जा रहे हैं.

साल 2018 का रिजल्ट

जातिगत समीकरण:जातिगत समीकरण की बात करें तो बालाघाट जिला महाराष्ट्र से लगा हुआ जिला है. महाराष्ट्र की सीमा के पास ही यह वारासिवनी विधानसभा सीट भी आती है. यहां पर पवार और लोधी समाज वोटर्स की बहुलता है. वर्तमान विधायक भी कलार समाज से ही आते हैं.

बहरहाल, प्रदीप जायसवाल इस बार कांग्रेस से चुनाव नहीं लड़ेंगे. पिछली बार निर्दलीय ही जीते थे. ऐसे में इस बार वारासिवनी सीट पर सबकी नजर रहेगी,कि आखिर इस सीट से इस बार बाजी कौन मारेगा. क्या कांग्रेस इस सीट पर फिर से वापसी कर पाएगी या फिर भारतीय जनता पार्टी इस सीट को दूसरी बार जीत ले जाएगी. फिलहाल कांग्रेस के लिए चिंता की बात यह है कि जब वारासिवनी से निर्दलीय विधायक प्रदीप जायसवाल 2018 के चुनाव में जीत हासिल कर आए थे. तो कांग्रेस चौथे पोजीशन पर रही थी. ऐसे में कांग्रेस के लिए ये एक बड़ी चुनौती भी रहेगी.

Last Updated : Nov 14, 2023, 10:15 PM IST

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