बालाघाट।हम बात कर रहे हैं, एक ऐसी कराटे चैंपियन की जिसने कम उम्र में बड़े अवार्ड अपने नाम किए हैं. निधि नन्हेट, जी हां ये वो नाम है जिसे आज बालाघाट का बच्चा-बच्चा ही नहीं बल्कि पूरा प्रदेश और देश जानता है. निधि ने कम उम्र में वो उपलब्धि हासिल की है, जिसे हासिल करने में खिलाड़ियों की उम्र बीत जाती है. निधि की उपलब्धि से उसके माता-पिता बहुत खुश हैं. उनका कहना है कि उन्हें अपनी बेटी पर गर्व है.
बालाघाट जिले का नाम देश में चमका : मध्यप्रदेश के अंतिम छोर में बसा बालाघाट जिला देश प्रदेश में वन संपदा, खनिज संपदा, आदिवासी बहुल और नक्सल प्रभावित क्षेत्र होने के चलते अपनी एक अलग पहचान रखता है. लेकिन अब इसे एक और नई पहचान मिल गई है, जिसे कराटे खिलाड़ी निधि ने दिलाई है. निधि ने कराटे में उस मुकाम को हासिल किया है, जिसे पूरे प्रदेश में किसी खिलाड़ी ने इतनी कम उम्र में नहीं किया. इन्होंने पहले कम उम्र में एकलव्य अवार्ड अपने नाम किया था तो वहीं विक्रम अवार्ड हासिल करके एक बड़ा कमाल कर दिखाया है.
कठिन मेहनत से पाया मुकाम :निधि नन्हेट के इस विक्रम अवार्ड तक पहुंचने को लेकर कठिन संघर्ष और अभाव से जुड़ी कहानी भी है. जिस तरह से उसने कराटे में यह मुकाम हासिल किया वह बेटियों के लिये गौरव का पल है. 24 वर्षीय निधि कक्षा 3 से कराटे खेल रही हैं. उसका सफर 2005 से शुरू हुआ. 13 साल की उम्र में 2009 में नेशनल और 2010 से इंटरनेशनल में खेलना प्रारंभ हो गया. अब तक उसने 20 नेशनल और 13 इंटरनेशनल स्तर पर कराटे में भाग लिया है. ब्लैकबेल्ट और मास्टर डिग्रीधारी इंटरनेशनल खिलाड़ी निधि नन्हेट को वर्ष 2014 में एकलव्य पुरस्कार मिल चुका है.