बालाघाट। भूखें रहने पर पेट की आग कुछ भी करने पर मजबूर कर देती है, हालात कोरोना कर्फ्यू और लाॅकडाउन के हो तो मनोदशा कुछ और ही होती है. आज हम आपको उन बच्चों से परिचय करा रहे है, जिन्होंने भूख की तड़प महसूस की और इसी भूख ने इन्हें पढ़ने-लिखने की उम्र में ब्रेड बेचने पर मजबूर कर दिया. शहर के समीपस्थ ग्राम आलेझरी के रहने वाले यह दोनों भाई शहर की सड़कों पर ब्रेड बेचते है. घर के हालात और इनकी पीड़ा जब सुनी तो मन सिहर उठा.
- साइकल पर ब्रेड बेचने को मजबूर है दोनों भाई
बालाघाट शहर की सड़कों पर जब सन्नाटा है और व्यापार, दुकानों के शटर जब बंद है, तो आलेझरी के रहने वाले धनपाल और अंकपाल यह दोनों भाई इस उम्मीद में ब्रेड बेचने निकल पड़ते है, कि शायद इसे बेचकर वह अपने घर में राशन लेकर जाएंगे और पेट में लगी भूख की आग को शांत करेंगे. कोरोना महामारी ऐसे-ऐसे चेहरों से रूबरू करवा रही है, जो समाज के भीतर ना जाने कैसे हालात में गुजर-बसर कर रहे है. यही कुछ कहानी इन दोनों भाईयों की भी है. साईकिल पर ब्रेड का थैला लेकर घुमते हुए ब्रेड बेचने के पीछे इनके घर के हालात जिम्मेदार है, पिता नहीं है घर में केवल मां है और जब कोरोना संकट ने भूखमरी के हालात पैदा किए तो इन्हें ब्रेड बेचने के अलावा और कुछ नहीं सूझा और साइकिल उठाकर शहर की ओर निकल पड़े.
कोरोना महामारी के बीच भुखमरी की कगार पर मटका व्यापारी
- एक वक्त की रोटी के लिए करते है काम