बालाघाट। जिले के आदिवासी बाहुल्य परसवाड़ा इलाके में स्थित एकमात्र अस्पताल खुद ही वेंटिलेटर पर पहुंच चुका है. स्टाफ की कमी और प्रशासनिक लापरवाही के चलते मरीजों को सही वक्त पर इलाज नहीं मिल पा रहा है.
वेंटिलेटर पर है बालाघाट जिले का ये सरकारी अस्पताल ! इलाज के लिए भटक रहे हैं मरीज
बालाघाट के परसवाड़ा इलाक में 30 बिस्तरों वाले सरकारी अस्पताल में स्वास्थ्य सुविधाओं का बुरा हाल है, स्टाफ की कमी और प्रशासनिक लापरवाही के चलते मरीजों को समय पर इलाज नहीं मिल पा रहा है.
इलाज के लिए भटकते हैं मरीज
अस्पताल में सुविधाओं के अभाव की वजह से मरीज इलाज के लिए भटकते रहते हैं. अधिकांश स्टाफ अपनी ड्यूटी से अक्सर नदारद रहते हैं. डाक्टरों की गैर मौजूदगी में दवाइयां वितरण करने वाले कर्मचारी ही ओपीडी का जिम्मा संभालते हैं.
समय पर नहीं हो पाती कोई जांच
ग्रामीण अंचलों से इलाज के लिए आए मरीजों को कई बार घंटों इंतजार करना पड़ता है, तब जाकर लैब में उनकी जांच हो पाती है. कई बार तो बिना जांच के ही मरीजों को वापस लौटना पड़ता है. लैब टेक्नीशियन श्यामा मरकाम ने बताया कि अस्पताल में सिर्फ दो लैब टेक्नीशियन हैं और कुपोषित बच्चों का कैंप लगा होने से अन्य मरीजों की जांच नहीं की जा रही है.
अक्सर स्टाफ रहता है नदारद
अस्पताल में पदस्त स्टाफ ज्यादातर वक्त अस्पताल से गायब रहता है. जो भी अधिकारी कर्मचारी उपस्थित नहीं होता है, वो फील्ड पर होने का बहाना देता है. कई पदस्थ अधिकारी और कर्मचारी फिल्ड का बहाना देकर अक्सर अस्पताल नहीं आते हैं. इससे सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि, अस्पताल की सेहत कितनी खराब है.
ब्लीचिंग पाउडर का नहीं किया जा रहा वितरण
बिमारियों से बचने के लिए ब्लीचिंग पाउडर का वितरण करना आवश्यक है, लेकिन अस्पताल में ब्लींचिंग पाउडर का वितरण तक नहीं किया जा रहा है. ब्लीचिंग पाउडर मांगने पर आशा कार्यकर्ता से संपर्क करने को कहा जाता है. जिला स्वास्थ्य अधिकारी अजय जैन ने कहा कि ब्लीचिंग पाउडर उपलब्ध कराकर तत्काल वितरण करवा दिया जाएगा, लेकिन अभी भी लोग ब्लीचिंग पाउडर के लिए भटक रहे हैं.
औपचारिकताओं में स्वच्छता अभियान
परसवाड़ा अस्पताल में गंदगी का अंबार लगा हुआ है. यहां पर स्वच्छता अभियान महज औपचारिकताओं में ही सिमट कर रह गया है. गंदगी के अंबार से कमरे भी अछूते नहीं हैं. कई जगहों पर बदबू होने से मरीजों सहित परिजनों को भी मुसीबत का सामना करना पड़ता है, लेकिन अस्पताल प्रबंधन इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है.
आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर रोशनी गौतम जो वैकल्पिक व्यवस्था के तौर पर परसवाड़ा अस्पताल में दो दिन सेवाएं प्रदान करती हैं, उन्होंने बताया कि प्रशासन का आदेश हैं कि, सात ग्राम खून से कम वाले बच्चों का एचबी टेस्ट कर उन्हें बालाघाट रेफर किया जाए है, जिससे उनका अच्छे से उपचार हो सकेगा. लेकिन सिर्फ कुपोषित बच्चों का ही एचबी टेस्ट किया जा रहा है.