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राज्यपाल 8 मई को आएंगे बालाघाट के परसवाड़ा, सिकिलसेल एनीमिया पर होगा मंथन

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Published : May 4, 2022, 7:57 PM IST

जिले की आदिवासी बाहुल्य तहसील परसवाड़ा में 8 मई को मध्यप्रदेश के महामहिम राज्यपाल मंगुभाई पटेल आएंगे. इसके लिये परसवाड़ा सहित पास के ग्रामों में भी तैयारियां जोरों पर हैं. कार्यक्रम अनुसार परसवाड़ा के शासकीय रानी दुर्गावती महाविद्यालय में रानी दुर्गावती की प्रतिमा का अनावरण राज्यपाल करेंगे. साथ ही पीएम आवास हितग्राहियो के साथ भोजन व आदिवासी ग्रामीणों के साथ सिकिलसेल जैसे रक्तविकार बीमारी और उसके निदान पर चर्चा करेंगे. (Governor will come Paraswada on May 8) (Brainstorming on sickle cell anemia)

Governor will come Paraswada on May 8
बालाघाट में राज्यपाल के दौरे की तैयारियां

बालाघाट।जिले की आदिवासी बाहुल्य तहसील परसवाड़ा में 8 मई को राज्यपाल मंगुभाई पटेल के दौरे के मद्देनजर अधिकारी तैयारियों में लगे हैं. महामहिम का मुख्य कार्यक्रम लाइलाज सिकिलसेल एनीमिया बीमारी के संदर्भ में चर्चा और उसके रोकथाम के संदर्भ मे चर्चा का है. पूरा कार्यक्रम आयुष विभाग की देखरेख मे संपन्न होगा. सिकिलसेल एनीमिया एक रक्तविकार बीमारी है, उसे कम करने के उपायों पर महामहिम स्वयं कार्य कर रहे हैं तथा अन्य आदिवासी बाहुल्य जिलों मे भी इसी उद्देश्य के तहत उनके कार्यक्रम संपन्न हुए हैं.

सिकिलसेल एनीमिया बीमारी पर सरकार गंभीर :गौरतलब है कि सिकिलसेल एनीमिया रक्तविकार बीमारी को लेकर केन्द्र सरकार के 2021-22 के रिपोर्ट मे जनजातीय मामलों की राज्य मंत्री रेणुका सिंह सरूता ने लोकसभा में कहा था कि आदिवासी आबादी में सिकलसेल की राज्यवार प्रसार दर निश्चित रूप से ज्ञात नहीं है, क्योंकि ऐसा कोई डेटाबेस केंद्र के पास नहीं रखा जाता है. स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग की वार्षिक रिपोर्ट 2020-21 में दिखाया गया है कि अलीराजपुर, अनूपपुर, छिंदवाड़ा, डिंडोरी सहित कुछ जिलों मे सिकलसेल एनीमिया के कुल 6649 मामलों में से 4955 मामले दर्ज किए थे.

बालाघाट में राज्यपाल के दौरे की तैयारियां

कई जिलों में सिकिलसेल एनीमिया के मरीज :बताया गया है कि परधान, पनिका, भिलाला जैसी अनुसूचित जनजाति और झरिया, मेहरा और डेहरिया जैसी अनुसूचित जातियां इस बीमारी से अधिक प्रभावित पाई गई हैं. इसके रोकथाम के इलाज के लिए कहा गया है कि इसकी रोकथाम तभी की जा सकती है जब इन समुदायों के लोग शादी से पहले जांच कराने पर ध्यान दें ताकि बच्चों को बीमारी होने की संभावना के बारे में पता चल सके. रिपोर्ट में यह भी सुझाया गया है कि बालाघाट, भोपाल, बुरहानपुर, छतरपुर, राजगढ़, इंदौर, जबलपुर, मंदसौर, रतलाम, शहडोल, उज्जैन, सागर और रीवा में भी तहसील में इसका प्रचलन अधिक पाया गया है.

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प्रारंभिक जांच में ही सिकलसेल का इलाज :मध्यप्रदेश में कुल 961492 साइकिल रोबोट की अनुमानित संख्या है. इसके अलावा मध्यप्रदेश के 52 में से 27 जिले से सिकिलसेल बेल्ट के अंतर्गत आते हैं. यह भी अनुमान लगाया गया है कि राज्य में प्रति वर्ष 13432 गर्भवती महिलाओं को सिकलसेल डिजीज होने का खतरा होगा. सिकिल होमोजगोटस के अनुमानित वार्षिक जन्म 3358 होंगे. वहीं गोंड और भील मध्य भारत में सबसे बड़े आदिवासी समूह का गठन करते हैं, जिनमें सिकलसेल की बहुतायत देखी गई है. रिपोर्ट में बताया गया है कि मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में प्रारंभिक जांच में ही सिकलसेल लगभग 10% -10% आबादी में फैला हुआ है. हालांकि कुछ जातियों में यह 30% तक देखा गया है. (Governor will come Paraswada on May 8) (Brainstorming on sickle cell anemia)

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