बालाघाट। जिले के तिरोड़ी में परिवार और वतन के बीच जूझते 80 साल के पूर्व चीनी सैनिक वांग शी उर्फ राजबहादुर का आखिरकार परिवार से मिलन हो ही गया. बता दें कि राजबहादुर को 1963 में युद्ध के दौरान बंदी बना लिया गया था. सजा काटने के बाद वह तिरोड़ी में ही बस गए थे.
परिवार के पास भारत पहुंचा पूर्व चीनी सैनिक, सालभर से नहीं मिल रहा था वीजा
बालाघाट के 80 वर्षीय पूर्व चीनी सैनिक वांग शी वीजा पॉलिसी के चलते भारत में रह रहे अपने परिवार से नहीं मिल पा रहे था. वांग शी 1963 के युद्ध में बंदी बनाए गए थे, जो सजा काटने के बाद भारत में ही बस गए थे.
दरअसल पूर्व चीनी सैनिक सजा काटने के बाद तिरोड़ी में आकर बस गये थे और स्थानीय निवासी एक महिला से शादी कर ली थी. जिससे उनकी दो बेटियां और एक बेटा है. राजबहादुर पांच दशक बाद 2017 में अपने चीनी परिवार से मिलने चीन गए थे. वहां से लौटने के बाद एक बार फिर गए. इस बीच वीजा एक्सपायर होने के चलते वह पिछले एक साल से भारत नहीं लौट पा रहे थे. अब जाकर उन्हें वीजा मिला और वह चीन से भारत वापस आये, जिसके बाद वे अपने परिवार से मिले, जहां परिवार सहित ग्रामीणों की खुशियां देखने लायक थी.
वांग शी उर्फ राय बहादुर का कहना है कि चीन और भारत आना-जाना पड़ता है, जिसके लिए वीजा की जरूरत पड़ती है. भारत सरकार ने 6 माह का वीजा दिया है, जो कम है. उन्होंने वीजा को 5 साल तक होने की इच्छा भी जताई.