बालाघाट। मध्यप्रदेश के अति संवेदनशील नक्सल प्रभावित जिला बालाघाट में मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी वीएल कांताराव ने प्रदेश के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक जीपी सिंह, महानिरीक्षक कानून व्यवस्था योगेश चौधरी के साथ चुनाव की तैयारियों की समीक्षा बैठक की. इस बैठक में जबलपुर कमिश्नर राजेश बहुगुणा, आईजी केपी वेंकटेश्वर राव, एसपी अभिषेक तिवारी, कलेक्टर दीपक आर्य सहित नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के थाना चौकियों में तैनात अधिकारी कर्मचारी शामिल हुये.
इस बैठक के बाद मीडिया से चर्चा करते हुये वीएल कांताराव ने कहा कि जिला प्रशासन ने चुनाव की जो तैयारियां की गई हैं उससे संतुष्ट हूं. बालाघाट नक्सल प्रभावित जिला है, जिसको लेकर लगातार दिल्ली और भोपाल से भारत निर्वाचन आयोग निगरानी कर रहा है. यहां पर मतदाता निर्भीक होकर मतदान करें और मतदान दल निर्भीकता से मतदान करायें, इस बात का ध्यान दिया जा रहा है उनको हम पूर्ण सुरक्षा देने कृत संकल्पित हैं.
बालाघाट में 1600 मतदान केंद्र
आपको बता दें कि बालाघाट में 1600 से ज्यादा मतदान केंद्र बनाए गए हैं, जिसमें 500 से ज्यादा संवेदनशील मतदान केंद्र हैं , इन बूथों पर सुरक्षा के लिए पिछले लोकसभा चुनाव के मुकाबले ज्यादा पुलिस बल तैनात किया जा रहा है. इस बार 380 कंपनियों की तैनाती की जाएगी. साथ ही बालाघाट से सटे प्रदेश महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ पुलिस से संपर्क कर तैयारियां की जा रही हैं.
छत्तीसगढ़ में नक्सली हमले के बाद सतर्क आयोग
हाल ही में छत्तीसगढ़ में हुई नक्सली वारदात से आयोग सतर्क है, जिले के कच्ची व पक्की सड़कों पर एरिया डोमिनेशन कराया जा रहा है. कांताराव ने कहा कि इस घटना से सीख लेकर कोई चूक नहीं करना चाहते हैं. छतीसगढ़ की तर्ज पर बालाघाट जिले के कई नक्सल ग्रामों में चुनाव वहिष्कार को लेकर फेंके गये नक्सली पर्चा के सवाल पर उन्होंने कहा कि स्वीप प्रोग्राम के तहत मतदाताओं को मतदान के प्रति जागरूक किया जा रहा है. मतदाताओं को समझाया जा रहा है कि मतदान जरूर करें. मतदाताओं की जो भी समस्या है उसका निराकरण भी किया जाएगा.
वीएल कांताराव की समीक्षा बैठक बालाघाट के नक्सल प्रभावित तीन विधानसभा बैहर, लांजी व परसवाड़ा में सुबह 7 बजे से 4 बजे तक मतदान कराया जाएगा वहीं अन्य विधानसभा में 7 से 6 बजे तक मतदान होगा. साथ ही भीषण गर्मी को देखते हुए कलेक्टर को मतदान केंद्र पर पानी व छाया की व्यवस्था करने के निर्देश दिये हैं जिससे कि मतदाता परेशान न हो.