बालाघाट।जिले के परसवाड़ा में लगातार हो रही बारिश से परसवाड़ा मुख्यालय सहित ग्रामीण अंचलों में आम लोगों का जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया. बारिश का पानी निकलने की व्यवस्था को लेकर भी किए गए इंतजामों की पोल खुलती नजर आई, इतना ही नहीं बिजली विभाग की लचर कार्यप्रणाली भी लोगों की परेशानी सबब बन गई.
जन्माष्टमी पर बारिश ने डाली खलल
बता दें कि, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर दो दिन मंगलवार और बुधवार को भगवान कृष्ण की प्रतिमाएं स्थापित की गई थी, लेकिन झमाझम बारिश से जन्माष्टमी के पर्व पर खलल पड़ता नजर आया और लोगों को भगवान की प्रतिमा को तेज बारिश के बीच विसर्जित करना पड़ा, जिससे खासी परेशानी का भी सामना करना पड़ा.
घरों में घुसा पानी, इंतजामों की खुली पोल
क्षेत्र में हो रही झमाझम बारिश से जहां नदी नालों में बाढ़ की स्थिति पैदा हो गई है, वहीं मुख्यालय सहित ग्रामीण अंचलों में भी कई घरों में पानी घुस गया. एक ओर आम जनजीवन अस्त-व्यस्त होता नजर आया, वहीं दूसरी तरफ ग्राम पंचायतों की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान भी खड़े हो रहे हैं. पानी निकासी के लिए किए गए इंतजाम नाकाफी साबित हुए और पंचायत के कराए गए कामों की पोल खुलती नजर आ रही है, जिससे लोगों में पंचायत के प्रति नाराजगी भी दिखाई पड़ रही है.
ग्रामीणों में जिम्मदारों के प्रति है आक्रोश
यह आलम कोई एक पंचायत नहीं, बल्कि मुख्यालय सहित कई ग्राम पंचायतों का है, जहां जवाबदारों की उदासीनता का दंश लोगों को झेलना पड़ रहा है. संबंधित विभाग को लोगों की परेशानियों से कोई सरोकार ही नहीं है. कई सरकारी भवनों की छत टपकती नजर आई, तो कई जगहों पर मुख्यालय जलमग्न दिखाई पड़ा.
बिजली व्यवस्था हुई लचर
इन दिनों परसवाड़ा सहित ग्रामीण अंचलों में बिजली की व्यवस्था भी बद से बदतर हो चुकी है. जहां मुख्यालय में बिजली आती-जाती रही, तो वहीं दूरदराज के आदिवासी बहुल ग्रामीण अंचलों में बिजली व्यवस्था बिल्कुल ही ठप रही, हालांकि बिजली व्यवस्था को लेकर कई बार अधिकारियों से शिकायत भी की गई, लेकिन बिजली विभाग लोगों की समस्याओं से ज्यादा सरोकार नहीं रखता है. जिससे मुख्यालय सहित ग्रामीण अंचलों में निवासरत लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, साथ ही संबंधित विभाग के प्रति लोगों में काफी आक्रोश व्याप्त है. परसवाड़ा सहित क्षेत्र में न केवल बिजली की समस्या है, बल्कि मूलभूत सुविधाओं का भी अभाव है. जिससे लोग सालों से जूझते आ रहे हैं.