भिंड/बालाघाट। मध्यप्रदेश में शिवराज सरकार (Shivraj Sarkar) में गौसेवा और गौ संरक्षण के नाम पर गौ कैबिनेट का गठन हो चुका है. इधर कमलनाथ सरकार (Kamal Nath Government) में ढेरों गौशालाएं (cowsheds) भी खोली गई थी लेकिन गायों (Cow) की सुरक्षा को लेकर सरकारें कितनी सक्रिय है इसका नजराना आपको प्रदेश के किसी भी हाईवे पर मिल जाएगा. हाईवे पर गायों (Cow) का इकट्ठा होना प्रदेश में आम बात है और उतनी ही आम बात है इनसे होने वाले हादसों में लोगों की जान जाना.
गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने से बदलेंगे हालात? शाम होते ही हाईवे पर इकट्ठा को जाती है गाय
भिंड से ग्वालियर तक जाने वाले हाईवे 719 पर हर दिन शाम ढलते ही गायें (Cow) इकट्ठा हो जाती है. बताया जाता है कि गाय दुध देना बंद कर देती है, तो इनके मालिक इन्हें खुला छोड़ देते हैं, ताकि गाय बाहर ही जो मिले खा ले और मालिक को उसके रखरखाव का खर्चा न उठाना पड़े. ये गायें (Cow) दिनभर यहां वहां घुमती रहती है और हाईवे किनारे उगी घास को खाने के लालच में हाईवे पर पहुंच जाती है.
हर दिन होते हैं कई एक्सीडेंट
पुलिस थानों में दर्ज रिकॉर्ड की माने तो हाईवे पर गायों के आने से होने वाले हादसे हर दिन सामने आ रहे हैं. हाईवे पर हर दिन कई गायें हादसे का शिकार होती है. इनमें से कुछ ही जिंदा बच पाती है, इनसे होने वाले हादसों में जनहानियां भी होती है. महीनेभर में भिंड जिले में 400 से ज्यादा गायें हादसों का कारण बनी है. कुछ दिनों पहले भिंड के लावन मोड़ पर तेज रफ्तार वाहन की चपेट में आने से 7 गायों की मौत हो गई थी.
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गौशालाएं पड़ी है खाली
कमलनाथ सरकार (Kamal Nath Government) के समय प्रदेशभर में गौशाला बनाने का काम शुरू किया गया था. कमलाथ सरकार के 15 महीने के कार्यकाल में भिंड जिले में 14 गौशाला स्वीकृत हुई थी, 9 बनकर तैयार भी हुई लेकिन फंड की कमी के चलते गौशालाएं खाली पड़ी है. इन गौशाला में गायों को रख भी दिया जाए तो उनके खाने-पीने का इंतजाम करने को कोई तैयार नहीं है.
हर दिन आते हैं 8 से 10 मामले
भिंड में पशु गहन चिकित्सा इकाई का संचालन कर रहे मंशापूर्ण गौकुल धाम गौशाला के सदस्य विपिन चतुर्वेदी का कहना है कि ज़िले में हर रोज़ गौवंश हादसों का शिकार हो रहे हैं, उन्होंने बताया कि इन हादसों में प्रतिदिन आधा दर्जन गौवंश स्पॉट पर ही मर जाती है. संस्था में हर दिन करीब 8 से 10 गौवंश को रेस्क्यू कर घायल अवस्था में लाया जाता है लेकिन उनकी स्थिति इतनी गंभीर होती है, कि एक या दो को ही बचा पाते है. उनका मानना है कि गौवंश को राजनीतिक लोग अपनी सियासत चमकाने के लिए इस्तेमाल करते हैं.
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बालाघाट में भी स्थिति है खराब
ऐसे ही हाल बालाघाट के भी हैं. शहर की सड़कों पर आवारा पशुओं (stray animal) का जमावड़ा लगा रहा है. सड़कों पर घूमते गाय और सांड लोगों के लिए परेशानी बने हुए है. बालाघाट के सब्जी मंडी, फलों की मंडी और दुकानों के आसपास पशुओं का जमावड़ा ज्यादा नजर आता है. इसका कारण है कि यहां इन्हें दिनभर खाने को कुछ न कुछ मिलता रहता है. लेकिन बाजार में पैदल चलने वाले या बाइक से चलने वाले लोग अक्सर इनके शिकार हो जाते हैं.
जल्द चलाया जाएगा अभियान
बालाघाट की सड़कों पर आए दिन आवारा पशुओं की वजह से दुर्घटनाएं होती है. बीच चौराहों पर या सड़कों में बीच मे बैठकर ये आवारा पशु (stray animal) यातायात को प्रभावित तो करते ही है, साथ ही दुर्घटना को भी निमंत्रण दे रहे हैं. इस मामले में बालाघाट के एसडीएम तन्मय वशिष्ठ शर्मा ने बताया कि "आवारा पशुओं की रोकथाम के लिए काम किए जा रहे हैं, जल्द अभियान चलाकर आवारा पशुओं को पकड़ने का अभियान चलाया जाएगा."
राष्ट्रीय पशु घोषित करने पर होगा फायदा?
हाल ही में उत्तर प्रदेश हाइकोर्ट ने कहा है कि गाय को संरक्षित करने के लिए सरकारों को कदम उठाने चाहिए. भारतीय संस्कृति में गाय को माता का दर्जा दिया गया है उसे राष्ट्रीय पशु घोषित किया जाना चाहिए. इलाहाबाद हाइकोर्ट का बयान आने के बाद लोगों ने भी इसका स्वागत किया है, लोगों का कहना है कि जल्द से जल्द सरकारों को इस ओर कदम उठाने चाहिए जिससे गौवंश को सुरक्षित किया जा सके.