बालाघाट।इस समय प्रदेश भर में कड़ाके की ठंड पड़ रही है, ठंड के कारण आम जनजीवन अस्त व्यस्त है. आम और खास हर कोई इस कड़ाके की ठंड से प्रभावित है, ऐसे में पालतू पशुओं खासकर दुधारू पशुओं- भैंस, गाय और बकरी आदि को भी इस ठंड का प्रकोप झेलना पड़ रहा है. (Animal Husbandry Tips) यदि पशुपालक सावधानी बरतते हुए कुछ बातों का ध्यान रखें तो अपने पशुओं का इस ठंड से बचाव करते हुए उनसे अच्छा उत्पादन ले सकते हैं. आइए जानकार डॉ. आर एल राऊत से जानते हैं कि ठंड में मवेशियों की सुरक्षा कैसे की जा सकती है.- (winter cattle care tricks)
1. पशुओं के बांधने वाली जगह पशु शाला के खिड़की दरवाजे तथा खुले भाग को टाट के बोरों या घास फूस की टटिया बनाकर बंद रखें, जिनको दिन के समय धूप निकलने पर कुछ समय के लिए खोल दें, जिससे धूप अंदर जा सके.
2. गाय, भैंस, बकरी आदि जानवरों को दिन के समय बाहर तभी निकाले, जब धूप निकल आए.
3. धूप न निकलने और ठंडी हवा चलने की अवस्था में पशुओं को दिन में भी पशुशाला के अंदर ही रखें.
4. धूप निकलने पर पशुओं को बाहर खुले में बांधने तथा कुछ देर के लिए उन्हें खुला छोड़ दें, जिससे वह व्यायाम कर सके और उनके शरीर में ऊर्जा का संचार हो सके.
5. पशुओं को नियमित तौर पर संतुलित आहार खाने को दें.
6. पशु आहार में नमक और खनिज लवण मिश्रण का समावेश जरूरी करें.
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7. सभी छोटे बड़े पशुओं को पेट के कीड़ों की दवा, उन्हें उनके शरीर भार के अनुसार खिलाएं.
8. बरसीम आदि हरा चारा ताजी न खिलाकर एक दिन उसे फैला कर छोड़ दें तथा अगले दिन उसे खाने को दें. इससे हरे चारे में पानी की कुछ मात्रा कम हो सकेगी तथा पशुओं को सर्दी का प्रकोप कम होगा.
9. अत्यधिक ठंड की अवस्था में भैंस को 250 से 300 ग्राम गुड और 200 ग्राम मेथी दाना अवश्य खिलाएं.
10. भेड़ और बकरी को 50 से 80 ग्राम गुड़ और 50 ग्राम मेथी दाना खाने को दें.
11. अत्यधिक ठंड की अवस्था में बकरियों को 5 से 6 लहसुन की कली भी खिला सकते हैं, इससे ठंड से बचाव होता है.
12. रात के समय पशुओं के बाड़े में कुछ समय के लिए आग जलाकर उन्हें तपाने का प्रबंध अवश्य करें.
13. दिन में कम से कम 3 बार जानवर ताजी और स्वच्छ पानी अवश्य पिलायें.
14. पशुशाला को पूरी तरह से साफ स्वच्छ और सूखा रखें.
15.सप्ताह में कम से कम एक बार पशुशाला में फिनायल का घोल या चूना का छिड़काव करते रहें.
16. पशुओं को चारा खिलाने वाली नादों की नियमित सफाई करें.
17. पशुशाला में पशुओं के नीचे बिछावन के रूप में धान की पुआल या बाजरा की कर्वी आदि का प्रयोग करें, इसे नियमित अंतराल पर बदलते भी रहें.
18. पशुओं के शरीर पर कुछ दिन के अंतराल पर खुरेरा करते रहें.
19. अगर कोई स्वास्थ्य समस्या दिखाई देती है तो तुरंत पशु चिकित्सक से परामर्श लें.