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कई मांगों के साथ सरकार की सद्बुद्धि के लिए टेंट व्यापारियों ने किया महायज्ञ, महात्मा गांगी को सौंपा ज्ञापन!

अपनी कई मांगों के साथ फेडरेशन ऑफ एमपी टेंट एसोसिएशन के बैनर तले कई व्यापारियों ने सरकार की सद्बुद्धि के लिए महायज्ञ किया. इसके बाद व्यापारी गांधी पार्क पहुंचे और महात्मा गांधी के स्टैच्यू को ज्ञापन सौंपा. पढ़िए पूरी खबर...

Federation of MP Tent Association did Mahayagya
फेडरेशन ऑफ एमपी टेंट एसोसिएशन ने किया महायज्ञ

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Published : Sep 16, 2020, 11:24 PM IST

अशोकनगर। फेडरेशन ऑफ एमपी टेंट एसोसिएशन के बैनर तले कई व्यापारियों ने प्रदेश सरकार की सद्बुद्धि के लिए महायज्ञ का अनुष्ठान किया. शहर के तुलसी पार्क रोड पर महायज्ञ के समापन के दौरान एसोसिएशन के सदस्यों ने उपचुनाव का बहिष्कार किया. इसके साथ ही एसोसिएशन के सदस्य उल्टे बाजों के साथ गांधी पार्क तक पहुंचे और महात्मा गांधी के स्टैच्यू को ज्ञापन सौंपा.

फेडरेशन ऑफ एमपी टेंट एसोसिएशन ने किया महायज्ञ

कोरोना काल के चलते लगभग 5 माह से बेरोजगारी की मार झेल रहे टेंट व्यवसाई, फोटोग्राफर, बैंड बाजे वाले और हलवाई समेत अन्य कई लोग ऐसे हैं, जिन्हें आज भी अपने गुजर बसर के लिए मोहताज होना पड़ रहा है.

व्यापारियों ने बताया कि जब लॉक डाउन चल रहा था, तब उन्होंने हर संभव मदद शासन-प्रशासन को दी. हमने ऐसे समय में लोगों को खाना वितरण, जल वितरण और प्रशासन के लिए टेंट-कुर्सियों की व्यवस्था की, लेकिन आज सरकार व्यापारियों के लिए कुछ भी नहीं सोच रही है. एसोसिएशन के सदस्य सोनू पांड्या ने बताया कि सरकार द्वारा व्यापारियों को 100 लोगों के शामिल कार्यक्रम की परमिशन दी गई है, लेकिन 100 लोग के कार्यक्रम में यदि टेंट, बर्तन सहित अन्य सामान लगाएंगे तो इसमें व्यापारियों को घाटा ही उठाना पड़ेगा.

अब यदि सामाजिक कार्यक्रम में 500 से अधिक लोगों की परमिशन दी जाए तो व्यापारियों को सामान लगाने में रोजी-रोटी चलाने का संकट खत्म हो जाएगा. सद्बुद्धि महायज्ञ के समापन पर एसोसिएशन के सभी सदस्य तुलसी पार्क से उल्टे बैंड बाजों के साथ स्टेशन रोड होते हुए गांधी पार्क पर पहुंचे. जहां महात्मा गांधी केस्टैच्यू को ज्ञापन देकर अपनी मांगें पढ़कर सुनाईं,

सदस्यों का कहना है कि प्रशासन को कई बार ज्ञापन देने के बाद भी कोई मदद नहीं की जा रही, इसलिए यह ज्ञापन देश के बापू को सौंपा है, ताकि सरकार और प्रशासन को सद्बुद्धि मिले.

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