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कुपोषण से लड़ाई में बरती जा रही लापरवाही, 20 बेड की एनआरसी में कुल 9 बच्चे किए भर्ती

अशोकनगर में कुपोषण को खत्म करने के लिए शासन-प्रशासन के प्रयासों की जमीनी हकीकत जानने के लिए ईटीवी भारत ने एनआरसी सेंटरों का जायजा लिया. जिसमें महिला एवं बाल विकास विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आई है.

अशोकनगर में कुपोषण
अशोकनगर में कुपोषण

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Published : Dec 4, 2019, 6:41 AM IST

अशोकनगर। कुपोषण को खत्म करने के लिए शासन-प्रशासन कई प्रयास कर रहे हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर इन प्रयासों का कोई असर नहीं हो रहा. इसमें सबसे बड़ी लापरवाही महिला एवं बाल विकास विभाग की सामने आई है. यहां अशोकनगर एनआरसी में कुपोषित बच्चों के लिए 20 बेड का विस्तर है. लेकिन केवल 9 बच्चे भर्ती किए गए हैं.

अशोकनगर में कुपोषण से लड़ाई में बरती जा रही लापरवाही

ईटीवी भारत की टीम ने कुपोषण को लेकर महिला एवं बाल विकास विभाग के प्रयासों की जमीनी हकीकत जानने के लिए जब नगर स्तर पर जायजा लिया, तो कहानी कुछ और ही नजर आई. सबसे पहले टीम ने ऐसे क्षेत्र का भ्रमण किया जहां आदिवासी बच्चों की संख्या अधिक है. जिसमें नगर से कुछ ही दूरी पर गांव तकनेरी है, जिसमें अधिकांश परिवार आदिवासी परिवेश से जुड़े हुए हैं. यहां माता-पिता अपने बच्चों पर ध्यान नहीं दे पाते जिसके कारण वहां कुपोषण फैला हुआ है.

दूसरा क्षेत्र यादव कॉलोनी में आदिवासी बस्ती है, जहां कुपोषित बच्चे है. वहां की आंगनवाड़ी केंद्र का जायजा लिया गया तो वह बंद पाई गई. जब इस संबंध में महिला बाल विकास अधिकारी जयंत वर्मा से बात करने का प्रयास किया गया तो वे भी अपने ऑफिस पर मौजूद नहीं मिले.

कुपोषण वार्ड प्रभारी समता जैन ने बताया की प्रदेश भर में कुल 9 लाख कुपोषित बच्चे हैं. जबकि प्रदेश में 315 एनआरसी बार्ड, 400 यूनिट और एक स्मार्ट यूनिट है. जबकि अशोकनगर एनआरसी में कुपोषित बच्चों के लिए 20 बेड का विस्तर है.

आंगनबाड़ियों पर नहीं मिल रहा पर्याप्त पोषक आहार-

आंगनबाड़ियों पर गर्भवती महिलाओं बच्चों और किशोरी युवतियों के लिए पोषण आहार दिया जाता है. लेकिन आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की लापरवाही के चलते अधिकांश केंद्रों पर यह पोषण आहार हितग्राहियों को नहीं मिल पाता. जिसके कारण शासन प्रशासन की महिती आकांक्षाओ पर विभाग द्वारा पलीता लगाया जाता है.

कुपोषण के लिए आंगनवाड़ी एवं आरोग्य केंद्र कार्यकर्ता भी जिम्मेदार

शासन की मंशा अनुरूप छोटे से छोटे गांव में भी आंगनबाड़ी एवं आरोग्य केंद्र खोलने का प्रमुख उद्देश्य की किशोर युवतियों से लेकर गर्भवती महिलाओं और बच्चों को समय-समय पर पोषण आहार एवं दबाएं उपलब्ध कराना है. ताकि उनमें किसी भी तरह की शारीरिक कमजोरी ना पनप सके.लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में बंद आंगनवाड़ी एवं आरोग्य केंद्र ही बड़ी लापरवाही का कारण बन रही हैं. यदि गर्भवती माताओं को सुपोषण आहार एवं अच्छी दवाई केंद्र द्वारा उपलब्ध कराई जाएं तो बच्चों में कुपोषण जैसी बीमारी का खात्मा किया जा सकता है.

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