अशोकनगर। कुपोषण को खत्म करने के लिए शासन-प्रशासन कई प्रयास कर रहे हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर इन प्रयासों का कोई असर नहीं हो रहा. इसमें सबसे बड़ी लापरवाही महिला एवं बाल विकास विभाग की सामने आई है. यहां अशोकनगर एनआरसी में कुपोषित बच्चों के लिए 20 बेड का विस्तर है. लेकिन केवल 9 बच्चे भर्ती किए गए हैं.
ईटीवी भारत की टीम ने कुपोषण को लेकर महिला एवं बाल विकास विभाग के प्रयासों की जमीनी हकीकत जानने के लिए जब नगर स्तर पर जायजा लिया, तो कहानी कुछ और ही नजर आई. सबसे पहले टीम ने ऐसे क्षेत्र का भ्रमण किया जहां आदिवासी बच्चों की संख्या अधिक है. जिसमें नगर से कुछ ही दूरी पर गांव तकनेरी है, जिसमें अधिकांश परिवार आदिवासी परिवेश से जुड़े हुए हैं. यहां माता-पिता अपने बच्चों पर ध्यान नहीं दे पाते जिसके कारण वहां कुपोषण फैला हुआ है.
दूसरा क्षेत्र यादव कॉलोनी में आदिवासी बस्ती है, जहां कुपोषित बच्चे है. वहां की आंगनवाड़ी केंद्र का जायजा लिया गया तो वह बंद पाई गई. जब इस संबंध में महिला बाल विकास अधिकारी जयंत वर्मा से बात करने का प्रयास किया गया तो वे भी अपने ऑफिस पर मौजूद नहीं मिले.
कुपोषण वार्ड प्रभारी समता जैन ने बताया की प्रदेश भर में कुल 9 लाख कुपोषित बच्चे हैं. जबकि प्रदेश में 315 एनआरसी बार्ड, 400 यूनिट और एक स्मार्ट यूनिट है. जबकि अशोकनगर एनआरसी में कुपोषित बच्चों के लिए 20 बेड का विस्तर है.